
चमत्कारी है हनुमान जी की प्रतिमा, बदलती है स्वरूप
मंडला. सूरज कुंड के नाम से ग्राम सकवाह में एक छोटा सा मोहल्ला है। जहां 20-25 परिवार निवास करते हैं। लेकिन इस मोहल्ले की पहचान दूर दूर तक है। जिसका कारण यहां स्थापित हनुमान जी की प्राचीन प्रतिमा व कभी नर्मदा तट में रहने वाला सूर्य कुंड है। सूर्य कुंड होने के कारण इस क्षेत्र का नाम सूरज कुंड पड़ गया। स्थानीय लोगों की माने तो इस प्राचीन धार्मिक स्थान में अधिकारी, राजनेताओं को आना जाना लगा रहा है। इसके साथ ही यहां नर्मदा परिक्रमा वासी के लिए भी विशेष सुविधाएं दी जाती है। उनके ठहरने के लिए सामुदायिक भवन बनाया गया है। जहां परिक्रमा वासी विश्राम तो करते ही हैं साथ ही समिति के द्वारा सदाव्रत दिया जाता है।
यहां के पूजारी कुंज बिहारी उपाध्याय ने बताया कि यहां स्थापित हनुमान मंदिर की प्रचीन प्रतिमा 24 घंटे में 3 बार अपना स्वरुप बदलते ही। सुबह चार बजे से दस बजे तक बाल स्वरुप, इसके बाद दस बजे से शाम 6 बजे तक युवा स्वरुप फिर छह बजे से पूरी रात वृद्ध स्वरुप में नजर आती है। इनके दर्शन करने दूर-दूर से लोग आते है। आये दिन समितियों द्वारा यहां विविध धार्मिक आयोजन किए जाते है। वर्ष में दो बार हनुमान जयंती के साथ ही नर्मदा जन्मोत्सव, महाशिवरात्री, मकर संक्राति आदि पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। पौराणिक महत्व के भी सूर्यकुंड धाम का एक विशेष महत्व हैं।
बाढ़ में गुम हो गया सूर्य कुंड
बताया जाता है कि 1926 के पहले यहां नर्मदा तट में एक कुंड स्थापित था जिसे सूर्य कुंड के नाम से जाना जाता है। नर्मदा पूराण में भी नर्मदा के किनारे स्थिापित चार कुंडों में से इस सूर्यकुंड को बताया गया है। कहा जाता है कि उक्त कुंड में भगवान सूर्य ने यज्ञ किया था। वहीं कुंड के पानी में दोपहर को भवन सूर्य की परछाई घोड़े व रथ के साथ दिखाई देती थी। सन 1926 में नर्मदा में आई बाढ़ में कुंड में कापू जम गई। जिसकी दिल्ली से पहुंचे भू सर्वेक्षण टीम द्वारा भी काफी तालाश की गई। लेकिन पता नहीं चला। धार्मिक मान्यताओं के चलते यहां श्रद्धालुओं का जमघट लगा रहता है। वर्तमान में कोरोना संक्रमण के कारण मंदिर के दरवाजे बंद रखे जा रहे हैं।
इनका कहना
यह स्थान काफी प्राचीन है। हनुमान जी के चमत्कारी रूप के कारण लोगों की आस्था बढ़ती जा रही है। कुंड को तालाशने का प्रयास किया गया लेकिन सफलता नहीं मिली। समय-समय पर धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। दूर-दूर से श्रद्धालु परिवार सहित पहुंचते हैं। समिति द्वारा लगातार यहां विकास कार्य कराया जा रहा है।
कुंज बिहारी उपाध्याय, पूजारी
मुझे जब भी मौका मिलता है यहां आता हूं एक आत्मीय शांति अनुभव होता है। यहां नर्मदा तट में कुछ देन बैठना अच्छा लगता है। हनुमानमंदिर, श्रीकृष्ण राधामंदिर, दुर्गामंदिर, शनि मंदिर, माता काली का मंदिर सहित अन्य मंदिर स्थापित है। सभी भगवान के एक ही स्थान पर दर्शन हो जाते हैं।
राजा कुशवाहा, ग्राम पौड़ी
Published on:
07 Jun 2021 12:14 pm
बड़ी खबरें
View Allमंडला
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
