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गुंबज तोडऩे के बाद संतों ने पुलिसकर्मियों से कहा हमें गोली मार दो हमारा काम हो गया

-कारसेवा में शहर के रवींद्र पांडेय भी पहुंचे थे अयोध्या

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mandsaur news

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मंदसौर.
मेरे सामने ही अयोध्या में गुंबज टूटा था। सैकड़ों लोगों के साथ मैं भी वहीं पर खड़ा था। गुंबज टूटने के बाद संतों ने आकर पुलिसकर्मियों से कहा हमारा काम हो गया है। अब आप हमें गोली मार दो ओर अपनी नौकरी करो। यह वाक्या जिसने भी देखा तो भगवान राम के लिए हमारे संतों का वह त्याग और समर्पण देख हर कोई दंग रह गया। संतों के उस त्याग व समर्पण को न्याय मिला और रामलला विराजेंगे। यह घटना मंदसौर से अयोध्या बाबरी विध्वंस के समय पहुंचे कारसेवक रवींद्र पांडेय ने बताया। अयोध्या में उस समय कारसेवकों ने बड़ी यातनाएं सही लेकिन हर किसी के मन में श्रीराम के प्रति आस्था का भाव था।
पटरी पर चल रहे थे तभी मालगाड़ी रुकी और हम कोयलेे की बोगी में बैठे
पांडेय ने कारसेवा के बारें में बताया कि 24 अक्टूबर 1990 को सुवासरा से सैकड़ों की संख्या में कार सेवक अवध एक्सप्रेस में सवार हुए थे जो फतेहपुर सीकरी के पहले राजस्थान के गांव उत्तर प्रदेश की सीमा से पहले उतरें। ग्रामीणों ने कारसेवकों को भोजन करवाया। यहां से सभी यूपी केछोटे-छोटे मार्ग पगडंडिय़ों से होते हुए आगे बढ़े। लेकिन सरकार के आदेश पर पुलिस ने कारसेवकों को गिरफ्तार किया। ऐसे में प्रवेश करना भी कारसेवकों के लिए बड़ी चुनौती थी। तब उन सहित 44 कार सेवक रेल की पटरी पटरी उत्तर प्रदेश की सीमा में पहुंचे और एक मालगाड़ी देखकर रुक गई ड्राइवर ने कहा कि मैं भी प्रभु श्री राम की कार सेवा के कार्य में सहयोग करना चाहता हूं आप मेरी खाली मालगाड़ी की बोगी में बैठ जाए। इस तरह से सभी कार सेवक कोयले की खाली बोगी में बैठे और यूपी की सीमा में पहुंचे। जैसे तैसे आगरा से बस से कानपुर पहुंचे। और आगे जाते समय पुलिस को शंका हुई तो मुझे भी पकड़ लिया। कानपुर से फतेहगढ़ सेंट्रल जेल में ले जाकर के बंद कर दिया 26 अक्टूबर को केंद्रीय कारागार फतेहगढ़ में बंद कर दिया। यहां से 3 नवंबर को मुझे रिहा किया। छुटने के बाद अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन किए थे।
उन्होंने बताया कि इसके बाद 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद का विध्वंस जीवन का महत्वपूर्ण क्षण था। उस दिन लाखों कार सेवकों ने अपने प्रभु श्री राम के जन्म स्थान पर बने बाबरी ढांचे को हमेशा के लिए वहां से हटा दिया। राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन में 1528 से लेकर 1992 तक 76 बार युद्ध लड़े गए थे। इसमें लाखों ने बलिदान दिया। राम भक्तों की आस्था का केंद्र मुक्त हुई और अब मंदिर बनकर तैयार हो गया। ऐसे में 22 जनवरी का अब बेसब्री से इंतजार है।
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