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बाढ़ के जख्मों पर तीन साल बाद भी नहीं लग पाया राहत का मरहम

बाढ़ के जख्मों पर तीन साल बाद भी नहीं लग पाया राहत का मरहम

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मंदसौर.
गत दिनों भारी बारिश से जिले के कुछ क्षेत्रों में खरीफ की फसल में नुकसान पहुंचा है। तालाब बने खेतों में किसानों के उम्मीदों की फसल गल रही है। ऐसे में उन्हें फिर से राहत का भरोसा दिलाया जा रहा है। सोयाबीन में नुकसानी हर साल की कहानी है। जिले में कई किसान ऐसे भी है जिन्हें वर्ष २०१९ में आई बाढ़ की राहत का भी इंतजार है। बाढ़ के जख्मों पर जिलेवासियों को करीब २१२ करोड़ के राहत भरे मरहम का तीन साल से इंतजार है। वर्ष २०१९ में जिले में आई बाढ़ के कारण शतप्रतिशत फसल नष्ट हो गई थी। इसके बाद वर्ष २०२० में अल्पवर्षा से उत्पादन प्रभावित हुआ। तो २०२१ में अफलन की स्थिति बनी। हालांकि प्रधानमंत्री फसल बीमा में फॉर्मूले के आधार पर फसल बीमा तय होता है। २०१९ में आई बाढ़ में सरकार ने बिना सर्वे के ही राहत बांटना शुरु की, लेकिन तीन साल बाद भी जिले के कई किसानों को राहत राशि का इंतजार है। तीन साल के इस फेर में सरकार बदली लेकिन राहत राशि अब तक नहीं आई। बाढ़ के समय किसानों को राहत के नाम पर प्रदेशस्तर पर राजनीति हुई थी और नेताओं ने जिले में दौरें किए थे। बाढ़ के दौरान जिले में २९३ करोड़ से अधिक की फसल नुकसानी की राशि तो राहत के रुप में बंट चुकी है लेकिन अभी भी उस समय के २१२ करोड़ ६८ लाख ३१ हजार रुपए की राशि किसानों को मिलना बाकी है।

बजट बना रोड़ा तो दी थी २५ प्रतिशत लेकिन ७५ अब भी बाकी
बाढ़ के दौरान जिले में जिले में सवा तीन लाख हैक्टेयर की फसल चौपट हुई थी। २९३ करोड़ से अधिक की नुकसानी की राशि तो राहत के रुप में बंट चुकी है लेकिन अभी भी उस समय के २१२ करोड़ ६८ लाख ३१ हजार रुपए की राशि किसानों को मिलना बाकी है। सीएम हेल्पलाइन में भी सबसे अधिक शिकायतें फसल बीमा और मुआवजा राशि से लेकर फसल नुकसानी को लेकर है। कृषि विभाग का अमला पूरे समय इन शिकायतों का निराकरण करने में ही लगा रहता है। बाढ़ के समय नुकसानी की बटी राहत राशि में आधे किसानों को राशि वितरित होने के बाद बजट की समस्या आई तो बचे हुए किसानों को २५ प्रतिशत राशि दी गई और ७५ राशि भी किश्तों में देने की बात कही, लेकिन फिर बजट आया भी नहीं और अब तक शेष ७५ प्रतिशत की राहत राशि अब तक बाकी है।

फसल की राशि मिलना बाकी अन्य नुकसानी की मिली राशि
बाढ़ के समय नुकसानी की ७५ प्रतिशत राशि नहीं मिली। बाढ़ के समय कांग्रेस की सरकार थी। इसके बाद सत्ता परिवर्तन हुआ और भाजपा की सरकार बनी तो राहत के नाम पर बकाया राशि अब तक किसानों तक नहीं पहुंची। प्रशासन ने नुकसानी का जो आंकलन कर भेजा था। इसमें से आधी राशि तो वितरित हुई और आधी अब तक बाकी ही रह गई। सरकार बदली और बाढ़ के समय राहत वितरण की बकाया राशि सरकार के बदलने के इसी फेर में किसानों को राशि का अब तक इंतजार है अब जब फिर नुकसान हुआ तो किसानों को राहत और मुआवजा की मांग कर रहे है। बाढ़ के दौरान पशु से लेकर जनहानि व मकान को लेकर राशि का वितरण तो हो गया था लेकिन फसल नुकसानी की मिलने वाली राशि का आंकड़ा ही सबसे अधिक था। अधिकांश बकाया राशि फसल नुकसानी की है। हालांकि इस बकाया राशि पर अब तक किसी स्तर का निर्णय नहीं हुआ और बकाया राशि मिलेगी या नहीं और कब मिलेगी इसे लेकर भी किसी स्तर ही हलचल नहीं है।