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किसानों को प्लेटफॉर्म तो युवाओं को रोजगार के लिए चाहिए जिले में यूनिट

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मंदसौर.
फलों से लेकर मसाला व औषधीय जिंसों का उत्पादन तो जिले में खूब होता है। ऐसे में फूड प्रोसेसिंग यूनिट की जिले में अपार संभावनाएं है। मसाला, औषधि व फलों पर आधारित यूनिट की संभावनाएं है। ऐसे में अब वादें नहीं इसके लिए इरादों की जरुरत है। जिले में पैदा हो रही ङ्क्षजसों की मांग अन्य राज्यों के साथ विदेशों में भी खूब है लेकिन प्लेटफॉर्म नहीं होने के कारण ना तो किसानों को इसका सही दाम मिल रहा है और ना ही इससे नए रोजगार सृजित हो रहे है। चुनावी दौर में हर बार प्रोसेसिंग यूनिट के दावें किए जाते है, लेकिन अब किसानों को आत्मनिर्भर और युवाओं को रोजगार जिले में देने के लिए वादें नहीं फूड प्रोसेसिंग यूटिन चाहिए। विडबंना यह है जिले में एक भी सरकारी प्रोसेसिंग यूनिट नहीं है। ओर निजी की फाइलें भी विभाग के दफ्तरों से लेकर बैंकों में ऋण मंजूरी के लिए इंतजार कर रही है।
दावे अपनी जगह लेकिन हकीकत में दफ्तर तक नहीं
जग्गाखेड़ी औद्योकिग क्षेत्र में फूड प्रोसेसिंग पार्क बताया गया। लेकिन यहां यूनिट तो दूर यूनिट डालने और यहां किसी जानकारी के लिए किसानों से युवा इधर-उधर भटकरने को मजबूर है। वर्तमान में जग्गाखेड़ी फूड प्रोसेसिंग पॉर्क व औद्योगिक क्षेत्र का संचालिन एकेवीएन के हाथों में है और उनका ना तो जिले में दफ्तर है और ना ही जिलेवासियों और यहां एमएसएमई से लेकर प्रोसेसिंग यूनिट से जुड़े विषयों पर जिलेवासियों से सीधा संपर्क है। इसी कारण कागजों में भले ही प्रोसेसिंग पार्क है लेकिन हकीकत में इसके बारें में जानकारी तक लोगों को आसानी से नहीं मिल पा रही है। आम लोगों को तो ठीक इसके बारें में जिले प्रशासनिक अमले को भी जानकारी नहीं है।
प्रोसेसिंग यूनिट से ऐसे होगा किसानों व युवाओं को लाभ
प्रोसेसिंग यूनिट होने से मशीनों में क्लीनिग व ग्रेडिंग होने से ङ्क्षजसों का दाम बढ़ेगा। १० से २० रुपए प्रतिकिलो तक दामों में ग्रेडिंग होने के बाद अंतर आता है। वहीं पैकिंग से लेकर अन्य प्रोडक्ट बनाने के साथ यूनिट के माध्यम से किसान देशभर के व्यापारियों से सीधा सौदा कर उपज बेच सकेगा तो इससे रोजगार भी बढ़ेगा और उपज का बेहतर दाम भी मिलेगा और खेती से ङ्क्षजसों की पैदावार के साथ किसान खुद उद्यमी बनकर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बढ़ेगा।
सरकार एक भी नहीं, निजी है ३२ यूनिट
उद्यानिक विभाग शासन की योजना के अनुदान से यूनिट के प्रकरण तैयार करवा रही है। इसमें वर्तमान में करीब ३२ यूनिट जिले में संचालित है। इसमें ४ लहसुन की प्रोसेसिंग यूनिट है तो बाकी धनिया, ऑईल सहित आटा के अलावा अन्य प्रकार की यूनिट है। ६६ डीपीआर तैयार की गई थी इसमें ३२ प्रकरण मंजूर किए है तो बाकी को मंजूरी का इंतजार है। लेकिन सरकारी यूनिट एक भी नहीं है। इधर जग्गाखेड़ी प्रोसेसिंग पॉर्क भले ही एकेवीएन के पास है, लेकिन यहां भी यूनिट का इंतजार है।
२० हजार हेक्टेयर में बोवनी, २ लाख मेट्रिक टन का उत्पादन
जिले में लहसुन को एक जिला एक उत्पाद में शामिल किया। २० हजार हेक्टेयर में लहसुन की खेती जिले में होती है और दो लाख मेट्रिक टन का उत्पादन होता है। मंदसौर से लेकर दलोदा व पिपलिया की मंडी भी लहसुन के लिए देशभर में जानी जाती है, लेकिन जरुरत है प्रोसेसिंग यूनिट के साथ किसानों को प्लेटफॉर्म देने की। यहां की लहसुन देश की सबसे अच्छी गुणवत्ता रखती है इसलिए विदेशों में भी मांग हैै। ५० प्रोसेसिंग यूनिट के लिए फाइल तैयार हुई लेकिन तीन साल बाद भी सिर्फ ४ यूनिट ही जिले में लहसुन की लग पाई है। हालांकि स्वसहायता समूह ने लहसुन का अचार व पेस्ट से लेकर पावडर व अन्य प्रोडक्ट बनाने की शुरुआत की है तो इनकी मांग लगातार बढ़ रही है।
अपार संभावनाएं है
लहसुन-प्याज से लेकर औषधी में अश्वगंधा, असालिया व तुलसी के अलावा फलों में संतरों के साथ मसाला में धनिया सहित अन्य ङ्क्षजसों पर आधारित फूड प्रोसेसिंग यूनिट की जिले में अपार संभावना है। ३२ यूनिट को मंजूरी मिली है तो इतनी ही फाइलों पर डीपीआर तैयार है। प्रोसेसिंग यूनिट से किसानों को उनकी ङ्क्षजस का बेहतर दाम मिलेगा तो बड़े शहरों के व्यापारियों से किसान सीधा जुड़ेगा। रोजगार के नए अवसर तैयार होंगे। -केएस सोलंकी, उद्यानिकी उपसंचालक