मंदसौर.
शहर का क्षेत्रफल व आबादी लगातार बढ़ती जा रही है। लेकिन नपा की सफाई व्यवस्था बढ़ती हुई आबादी व क्षेत्र के हिसाब से नहीं बढ़ी है। पिछले पांच सालों में कर्मचारी एक भी नहीं बढ़ा बल्कि कॉलोनियों के साथ शहर का दायरा बढ़ा। वहीं नपा की सफाई शाखा में भले ही ८०० कर्मचारी शहर की सफाई कर रहे है लेकिन हकीकत में देखे तो ४५० से ५०० कर्मचारी ही इतने बड़े शहर को साफ कर रहे है। ऐसे में नपा स्वच्छता की परीक्षा में अव्वल आने का दावा कर रही है। अपने ही कर्मचारियों को अफसरो व नेताओं के बंगलों से वापस तक नपा नही ला पाई और ना ही एवजी सिस्टम को खत्म कर पाई है। इतना ही नहीं कर्मचारियों की कमी के कारण कुछ वाहन चला रहे है तो कुछ कार्यालय में काम कर रहे है। वहीं २०१७ से अब तक सफाई शाखा में एक भी कर्मचारी की बढ़ोतरी नहीं हुई। विडबंना तो यह है कि स्वच्छता की परीक्षा भले ही नपा हर साल दे रही हो लेकिन सफाई व्यवस्था हाईटेक भी नहीं हो रही है और ना ही इसमें सुधार के लिए किसी स्तर की पहल और समीक्षा हो रही है। आलम तो यह है कि अलग-अलग जगहों पर काम कर रहे अपने कर्मचारियों से नपा सफाई शाखा का काम ही नहीं ले पा रही है।
५० टन से अधिक कचरा व २ टन पॉलिथीन उगलता है हर दिन मंदसौर
स्वच्छता सर्वेक्षण २०२३ की परीक्षा में नपा को साढ़े ९ हजार अंको के लिए परीक्षा देना है। ऐसे में नई चुनौतियों के साथ तैयारियों का दौर शुरु हो गया है। मंदसौर शहर हर दिन ५५ से ६० टन कचरा उगलता है तो वहीं २ टन पॉलिथीन जिसे ट्रैचिंग ग्राउंड पर एकत्रित करने के बाद इसका निष्पादन करना ही सबसे बड़ी चुनौती है। पॉलिथीन पर शासन ने भले ही प्रतिबंध लगा रखा हो लेकिन नपा शहर में इसका उपयोग नहीं रोक पा रही है। सफाई के नाम पर कर्मचारियों से लेकर संसाधन ओर डीजल पर हर दिन नपा ५ से ८ लाख रुपए तक का खर्चा हर दिन करती है लेकिन फिर भी स्वच्छता का ग्राफ सुधर नहीं पा रहा है और क्लीन मंदसौर का नारा अभी भी अधूरा सा लग रहा है।
नपा की सफाई शाखा को ऐसे समझें
जानकारी के अनुसार नगर पालिका में सफाई शाखा में कागजों में ८०० कर्मचारी कार्यरत है। इन्हें पूरा शहर साफ कर कचरा उठाने से लेकर टै्रचिंग ग्राउंड तक डालना पड़ता है। वर्ष २०१७ से अब तक शहर में चारों दिशाओं में कॉलोनियों के साथ क्षेत्रफल बढ़ता जा रहा है लेकिन कर्मचारी एक भी नहीं बढ़ा है। ४० वार्डो में ४० दरोगा है जो काम नहीं सिर्फ हो रहे काम का सुपरविजन करते है तो वहीं ४० घर-घर कचरा संग्रहण वाहन के चालक है। १२ कर्मचारी आवारा पशुओं की गैंग पर है। १५ कर्मचारी आयोजनों के लिए रिर्जव है जो उसके अनुसार काम करते है। २० प्रतिशत यानी १६० कर्मचारी अवकाश से लेकर अन्य कारणों से काम पर नहीं पहुंचते है। ३० कर्मचारी ऐसे है जो नपा कार्यालय में अलग-अलग शाखाओं में काम कर रहे है। ६ ट्रैक्टर-ट्रॉली, १ कार्गो गाड़ी, ४ डंपर व २ जेसीबी, वैक्यूमपंप, आवारा पशु वाहन पर भी वाहन चालक से लेकर कर्मचारी लगे हुए है। तो २० प्रतिशत एवजी सिस्टम (कर्मचारी का नाम काम पर कोई ओर) कर रहा है तो कलेक्ट्रेट के नए भवन की सफाई भी नपा के कर्मचारी करते है। तो वहीं कलेक्टर से लेकर एसपी, एडीएम से लेकर न्यायाधीशों के बंगलों से लेकर नेताओं के यहां भी नपा के सफाई शाखा के कर्मचारी लगे हुए है जो काम वहां कर रहे है लेकिन वेतन नपा से ले रहे है। इसके अलावा सुबह के बाद दोपहर बाद व रात्रिकालीन सफाई की व्यवस्था पर अलग-अलग टीमें काम कर रही है। इस तरह ८०० में से ३०० से अधिक कर्मचारी तो अन्यत्र है। वहीं बचे हुए ५०० कर्मचारी से ही सफाई व्यवस्था चल रही है।
कभी नहंी होती सफाई व्यवस्था की समीक्षा
लंबे समय से नपा का संचालन प्रशासक कर रहे थे। ऐसे में शहर से जुड़ा हर काम नपा में अफसरो के भरोसे चल रहा था। नपा चुनाव के बाद नगर पालिका परिषद का गठन हुआ ओर पीआईसी भी बनी लेकिन अब तक नगर की सफाई व्यवस्था से लेकर नपा की सफाई शाखा में मौजूद कर्मचारियों व संसाधनों की समीक्षा तक नहीं हुई है ओर ना ही इसके सुधार से लेकर लगातार आ रही शिकायतों पर अंकुश लगाकर स्वच्छता का ग्राफ ऊंचा उठाने के लिए किसी प्लानिंग पर मंथन के साथ काम हुआ है। पुराने व नियमित ढर्रे पर ही स्वच्छता का काम हो रहा है। बैठक के नाम पर सिर्फ दरोगाओं को बुलाकर निर्देश दे दिया जाता है। ओर ना ही वार्डो में पहुंचकर शहर की सफाई व्यवस्था को कभी कोई देख रहा है।
कर्मचारियों के लिए मांग करेंगे
८४५ सफाई कर्मचारी है। जो कर्मचारी है वह देखने में आया कि मौके पर नहीं मिलते है। उन्हें नियमित काम पर लाने के साथ ही कोशिश करेंगे। साथ कर्मचारियों का भौतिक सत्यापन करने के साथ कर्मचारी बढ़ाने व अपने कर्मचारियों को शाखा में लाकर काम लेने के लिए मांग की जाएगी। शहर में स्वच्छता अभियान चलाए जाते है सफाई की नियमित समीक्षा भी की जा रहीहै। -दीपमाला रामेश्वर मकवाना, स्वच्छता सभापति नपा