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भक्ति से ही व्यसन मुक्ति संभव, अभिमान त्याग कर कथा सुनने आए

भक्ति से ही व्यसन मुक्ति संभव, अभिमान त्याग कर कथा सुनने आए

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भक्ति से ही व्यसन मुक्ति संभव, अभिमान त्याग कर कथा सुनने आए

भक्ति से ही व्यसन मुक्ति संभव, अभिमान त्याग कर कथा सुनने आए

मंदसौर.
सेवा भारती समिति द्वारा आयोजित शिवमहापुराण कथा की शुरुआत सोमवार से हुई। शहर के कॉलेज ग्राउंड में कथा सुनने के लिए ५० हजार से अधिक लोगों की भीड़ उमड़ी। दोपहर २ बजे से शाम ५ बजे तक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कथा का श्रवण कराया। सुबह १० बजे से ही कथा सुनने के लिए लोगों के आने का क्रम शुरु हुआ जो शाम ५ बजे बाद तक जारी रहा। बड़ी संख्या में महिलाएं सामान लेकर कथा पांडाल की ओर पहुंची। जो कथा समापन तक यहीं पर रुकेगी। कथा पांडाल में और बाहर से कथा श्रवण के लिए आने वालों में महिलाओं की संख्या अधिक रही। कथा पांडाल में भगवान शिव की भक्ति से ओतप्रोत भजनों पर भक्त खूब झूमें जो जयकारें भी लगाए।


पंडित मिश्रा ने कथा के दौरान सभी से आह्वान करते हुए कहा कि जिस प्रकार बीज अंकुरित होता है उसी प्रकार बच्चों को कम उम्र में ही सनातन संस्कृति और धर्म के प्रति जागरुक करें। बच्चें बीच के समान है। जिस प्रकार बीज अंकुरित होगा वही पेड़ बनेगा। ऐसे में ज्ञान और सनातन संस्कृति की शिक्षा बच्चों को देने का आह्वान किया। इसके साथ ही उन्होंने युवाओं को संगति पर जोर दिया। जिस संगति में हम रहेंगे और जो मनोभाव होगा उसका हम पर प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने लोगों से कहा कि प्रतिदिन शिव मङ्क्षदर जाए और भगवान को जल चढ़ाए। भक्ति से ही व्यसन मुक्ति संभव है। कथा श्रवण करने जाए तो अपना अभिमान त्याग कर जाएं। पंडित मिश्रा ने कहा कि सैनिक सीमा की रक्षा करते हैं इसी प्रकार कथाकार सनातन धर्म की सभ्यता की संस्कृति की रक्षा करते हैं। कथा चाहे कोई भी हो चाहे वह श्रीमद्भागवत हो, राम कथा हो या शिव महापुराण सभी कथा हमें संस्कृति से जोड़ती है।


बैल्वपत्र की बताई महत्ता, जातिवाद पर किया प्रहार
कथा के दौरान बैल्वपत्र की महत्ता बताई। उन्होंने कहा कि भगवान शिव को बैल्वपत्र और जल चढ़ाने का महत्व है। सिर्फ शिव पूजा और बीमारियों से निजात में ही नहीं बल्कि मुक्ति के लिए भी इसका महत्व है। मुक्तिधाम से पहले विश्राम के लिए जहां रोका जाता है वहां पहले बैल्वपत्र की छाया में अंतिमयात्रा को रोकते थे। बैल्वपत्र की छाया पडऩे मात्रा से वेकुंठ मिल जाता है। इस दौरान शिव पूजा से लेकर जीवन में बैल्वपत्र की अलग-अलग रुपों में महत्ता बताई। साथ ही उन्होंने जातिवाद व वर्ण व्यवस्था पर भी प्रहार किया। उन्होंने कहा कि ईश्वर ने यह भेद नहीं किया है। मां के गर्भ में जब बच्चा आता है तो ईश्वर यह नहीं देखता है कि यह किस वर्ण में पैदा होगा। यह व्यवस्था सांसारिक है। कथा के दौरान पंडित मिश्रा ने अपने भजनों और प्रवचन के दौरान भगवान शिव की पूजा और जीवन में सफलता और समस्याओं से निजात पाने के लिए शिव की आराधना और स्तुति करने का आह्वान किया।