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भगवान विष्णु के १२ वे अवतार आयुर्वेद के जनक धन्वन्तरी की होगी पूजा

भगवान विष्णु के १२ वे अवतार आयुर्वेद के जनक धन्वन्तरी की होगी पूजा

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मंदसौर.
पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत के साथ धनतेरस मनाई जा रही है। एक दिन पहले भी मनाई तो कई लोग आज भी मनाएंगे। इसे लेकर हर और पर्व की रंगत दिखाई दे रही है। धनतेरस को लेकर असमंजस्य बना रहा और कई लोगों ने मनाई तो अधिकांश लोग तेरस भी आज ही मनाएंगे। लेकिन बाजारों में दीपोत्सव को लेकर खरीददारी को लेकर लोगों की भीड़ रही। पांच दिवसीय दीपोत्सव पर मुख्य पर्व महालक्ष्मी पूजन कल की जाएगी। इसी के साथ दीपावली मनाई जाएगी। धनतेरस पर शुभ मुर्हूत में बाजार में धन बरसेगा। इसे लेकर बाजार तैयार है। घरों को सजाने से लेकर घर-आंगन में रंगोली मनाने के अलावा अन्य परंपराओं को निभाया जाएगा। तो घरों में दीपमाला की जाएगी। पर्व के पहले बाजार गुलजार रहा।


यम व आयुर्वेद के जनक की होती है पूजा
धनतेरस पर दक्षिण दिशा में दिया जलाया जाता है। एक दिन दूत ने यमराज से प्रश्न किया कि अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय है तो यह दीप जलाने का जवाब दिया था। इसी के चलते अकाल मृत्य से बचने के लिए दीप जलाया जाता है। वहीं आयुर्वेद के जनक भगवान धनवंति की पूजा भी की जाती है। आयुर्वेद के जनक व यम की पूजा धनतेरस पर विशेष रुप से की जाती है। साथ ही शाम के समय पूजा का अधिक महत्व है। पूजा के स्थान पर उत्तर दिशा की तरफ भगवान कुबेर और धंवतरी की मूर्ति स्थापना कर उनकी पूजा होती है। इसके साथ ही माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विधान है।


आयुर्वेद के जन्मदाता की पूजा
धन तेरस पर भगवान धन्वंतरी की विशेष पूजा होती है। उन्हें आयुर्वेद का जन्मदाता और देवताओं का चिकित्सक माना जाता है। भगवान विष्णु के 24 अवतारों में 12वां अवतार धवंतरी का था। भगवान धवंतरी की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुए थी। वे समुद्र में से अमृत का कलश लेकर निकले थे जिसके लिए देवों और असुरों में संग्राम हुआ था। धन्व के पुत्र धवंतरी द्वितीय कहते हैं कि काशी के राजवंश में धन्व नाम के एक राजा ने उपासना करके अज्ज देव को प्रसन्न किया और उन्हें वरदान स्वरूप धवंतरी नामक पुत्र मिला। काशी वंश परंपरा में हमें दो वंशपरंपरा मिलती है। धवंतरी वैद्य को आयुर्वेद का जन्मदाता माना जाता है। उन्होंने विश्वभर की वनस्पतियों पर अध्ययन कर उसके अच्छे और बुरे प्रभाव-गुण को प्रकट किया। कार्तिक कृष्णा त्रयोदशी तिथि को धन तेरस का त्यौहार मनाया जाता हैं। इस दिन धवंतरी जयंती भी मनाई जाती है। साथ ही यह भी कहा जाता है कि धन तेरस की पूजा से घर में साल भर धन-धान्य भरा रहता है।
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