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मंदसौर में हार की समीक्षाओं में भीतरघात बड़ा कारण लेकिन संगठन को सबूत का इंतजार

मंदसौर में हार की समीक्षाओं में भीतरघात बड़ा कारण लेकिन संगठन को सबूत का इंतजार

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मंदसौर.
विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद से ही समीक्षाओं का दौर चल रहा है। कांग्रेस में भी हार के कारणों की समीक्षा हो रही है लेकिन प्रदेश में बहुमत से सरकार बनने के बाद मंदसौर में मिली हार जिसे बीजेपी अपना गढ़ मानती आई है उस पर सबसे अधिक चर्चा हो रही है। भीतरघात जिले की चारों विधानसभा सीटों पर हुआ। लेकिन मंदसौर में हार के बाद भीतरघात की सबसे अधिक चर्चा व नाम यहीं पर चर्चा में है। खुद संगठन के नेता कह चुके है कि मौखिक शिकायत मिल रही है लेकिन सबूत के साथ पुख्ता शिकायत का इंतजार है। मंदसौर में भीतरघात ने बीजेपी को चुनाव हरवा दिया। भीतरघात सुवासरा, मल्हारगढ़ से लेकर गरोठ में भी हुआ लेकिन वहां प्रबंधन ने इसे अधिक हावी होने नहीं दिया। ऐसे में माना जा रहा है कि भीतरघात को लेकर आगामी दिनों में प्रदेश संगठन से जिले में बड़ी कार्रवाई हो सकती है।


पार्षदों से लेकर संगठन पदाधिकारी व जनप्रतिनिधियों के नाम चर्चाओं में
मंदसौर शहर में भाजपा को पिछली बढ़त इस बार बहुत कम हो गई। कई वार्डो व पोलिंगों पर हार हुई है। शहर में हार से ही विधानसभा में हार बीजेपी बड़ी वजह मान रही है। ऐसे में नगर पालिका के सभापतियों से लेकर पार्षदों व संगठन के पदाधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों के नाम भी खूब चर्चाओं में है। वहीं नगर पालिका चुनाव में ४० में से २९ बीजेपी के पार्षद है। लेकिन वार्डो से लेकर पार्षद खुद एक साल से छोटे-छोटे आम लोगों से जुड़े काम नहीं होने को लेकर परेशान है और संगठन से लेकर जनप्रतिनिधियों का दरवाजा भी खटखटाया फिर भी सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में वार्डाे में बढ़त कम होने व हार की बड़ी वजह माना जा रहा है। गरोठ, सुवासरा व मल्हारगढ़ में पार्टी जीतने में सफल रही इसलिए वहां के भीतरघात पर चर्चा नहीं हो रही है लेकिन मंदसौर में हार के कारण सोशल मीडिया से लेकर आम चौराहों पर हार के कई कारणों के साथ चर्चाओं का बाजार गर्म है।


मंत्री ने मंच से कहा भीतरघात हुआ, संगठन को भेजी शिकायत
सुवासरा विधानसभा से जीतने के बाद मंत्री हरदीपसिंह डंग ने अपने क्षेत्र में जुलूस के दौरान खुले मंच पर कहा कि भीतरघात हुआ है। उन्होंने कहा कि मैं जब कांग्रेस में था तो मुझे नीतियां नहीं जमी तो मैंने इस्तीफा दे दिया और भाजपा में आया लेकिन कभी पार्टी के साथ भीतरघात नहीं किया, लेकिन यहां कई ने खुले रुप से भीतरघात किया। विधानसभा क्षेत्र में कई जगहों पर मंत्री ने खुले रुप से भीतरघात की बात कही। साथ ही यह भी जानकारी मिली कि भीतरघात को लेकर मंत्री डंग ने प्रदेश संगठन व प्रदेश के नेताओं को ऑडियो क्लीप के सबूतों के साथ शिकायत की है। साथ ही सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में जातिवाद का कार्ड भी खेला गया। हालांकि डंग अपने प्रबंधन की वजह से भीतरघात के बाद भी चुनाव जीतने में सफल रहे।


गरोठ, मल्हारगढ़ में भीतरघात के बाद भी मिली जीत, लेकिन मंदसौर हारें
मंदसौर विधानसभा को भाजपा अपना गढ़ मानती आई है। वर्ष १९९८ में नवकृष्ण पाटिल कांग्रेस के आखरी विधायक थे। इसके बाद २५ सालें से लगातार भाजपा यहां से जीतती आई है लेकिन इस बार भीतरघात और एंटी इकम्बेंसी के कारण मंदसौर की सीट पार्टी हार गई और २५ सालों के बाद कांग्रेस ने यहां वापसी की। मंदसौर में भीतरघात की शिकायत भी खुलकर हो रही है और कई बड़े जनप्रतिनिधियों से लेकर पदाधिकारियों के नामों की चर्चा राजनीति गलियारों में खुले रुप से हो रही है। संगठन तक भी शिकायतें पहुंची लेकिन संगठन के पदाधिकारी अब भी सबूतों का इंतजार कर रहे है। वहीं मंदसौर में भीतरघात ने भले ही नुकसान पहुंचाया हो लेकिन मल्हारगढ़ व गरोठ में भी भीतरघात हुआ। इसी कारण गरोठ में पहली बार कांग्रेस ने जीत हासिल की तो मल्हारगढ़ में वित्तमंत्री देवड़ा का अपना प्रबंधक से भीतरघात का कार्ड अधिक नहीं चला। इससे सिर्फ पिपलियामंडी में कुछ असर माना जा रहा है।


उचित प्लेटफॉर्म पर फिडबैक के आधार पर रखूगा बात
हार के कारणों को लेकर संगठन यदि पूछेगा तो स्थानीय विधानसभा के कार्यकर्ताओं व संगठन के पदाधिकारियों से पूछूगा उन्होंने जो देखा और झेला उस फिडबैक के आधार पर पार्टी संगठन के उचित प्लेटफॉर्म पर अपनी बात रखूंगा।-यशपालसिंह सिसौदिया, पूर्व विधायक


बैठक में करेंगे चर्चा
भीतरघात के मामलों की मौखिक शिकायतें मिली है। अभी सबूत के साथ पुख्ता शिकायत किसी ने नहीं की है। मंडल अध्यक्ष से लेकर संगठन के अन्य पदाधिकारियों सहित अन्य से चर्चा करेंगे। एक-दो दिन में बैठक कर सभी से हार की समीक्षा पर चर्चा करेंगे व रिपोर्ट पार्टी नेतृत्व को भेजेंगे। -नानालाल आटोलिया, जिलाध्यक्ष, भाजपा