रावण यहां का दामाद है। इसलिए बहुएं जब प्रतिमा के सामने पहुंचती हैं तो घूंघट डाल लेती हैं। ऐसा इसलिए है कि रावण यहां का जमाई था। जमाई के सामने कोई महिला सिर खोलकर नहीं निकलती है। मंदसौर में रावण की प्रतिमा बीस फीट ऊंची है। वहीं, यहां के लोग सालों भार रावण की पूजा करते हैं।
यहीं नहीं मान्यता है कि यहां रावण के पैर में धागे बांधने से बीमारियां दूर होती है। इस गांव में लोग रावण को बाबा को कहकर पूजते हैं। धागा दाहिन पैर में बांधी जाती है। साथ ही क्षेत्र की खुशहाली, समाज सहित शहर के लोगों को बीमारियों से दूर रखने एवं प्राकृतिक प्रकोप से बचाने के लिए प्रार्थना करते हुए पूजा-अर्चना करते हैं।
दशहरे के दिन यहां नामदेव समाज के लोग जमा होते हैं। फिर वहां पूजा-पाठ करते हैं। उसके बाद राम और रावण की सेनाएं निकलती हैं। रावण के वध से पहले लोग रावण के समक्ष खड़े होकर क्षमा-याचना मांगते हैं। इस दौरान कहते हैं कि आपने सीता का हरण किया था, इसलिए राम की सेना आपका वध करने आई है। उसके बाद प्रतिमा स्थल पर अंधेरा छा जाता है और फिर उजाला छाते ही राम की सेना जश्न मनाने लगती है।