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जिन्हें मिली दुकानें उन्होंने प्लाट बेचने के लिए ही भरा फॉर्म अब जो बाहर से आए व्यापारी वह रह गए वंचित

जिन्हें मिली दुकानें उन्होंने प्लाट बेचने के लिए ही भरा फॉर्म अब जो बाहर से आए व्यापारी वह रह गए वंचित

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जिन्हें मिली दुकानें उन्होंने प्लाट बेचने के लिए ही भरा फॉर्म अब जो बाहर से आए व्यापारी वह रह गए वंचित

जिन्हें मिली दुकानें उन्होंने प्लाट बेचने के लिए ही भरा फॉर्म अब जो बाहर से आए व्यापारी वह रह गए वंचित

मंदसौर.
नगर पालिका द्वारा लगाए जा रहे पशुपतिनाथ मंदिर पर कार्तिक मेला में दुकानें लगाने के लिए प्लाट का मसला अब तक नहीं सुलझा। यहां कई व्यापारी अब भी दुकान लगाने के लिए जगह की तलाश में भटक रहे है और नपा सिर्फ २७७ दुकानों का आवंटन कर बैठ गई है। आलम तो यह है कि नपा के अधिकारी मेला क्षेत्र में जा भी नहीं रहे है और मेले को अपने हाल पर छोड़ दिया है। १८०० फॉर्म मे से २७७ का आवंटन किया। अब आवंटन में जिन्हें दुकानें मिल गई है उन्हें दुकान लगाना ही नहीं है और उन्होंने बेचने की नियत से ही प्लाट लिया है तो जो व्यापारी सामान लेकर पहुंच गए है उन्हें अधिक राशि चुकाकर दुकान लेना भी मजबुरी है। इसलिए प्लाट की कालाबाजारी हो रही है। हालंाकि नपा ने एलाउंस कराकर कार्रवाई की चेतावनी दी है। इधर अब तक मेला जमा ही नहीं है। दुकानें ओर झुले नहीं लगे है।


दुकानों के लिए प्लाट की कालाबाजारी को ऐसे समझें
मेला क्षेत्र सीमित है। इसमें भी ६३५ दुकानों में से होटल से लेकर झुलों वाले के लिए स्थान फिक्स है उनके लिए आवंटन भी नहंी होता तो सिर्फ २७७ प्लाटों के लिए आवंटन हुआ। और फॉर्म आए १८०० से अधिक। पिछले सालों की तुलना में इस बार तीन गुना से अधिक व्यापारी सामान लेकर दुकान लगाने के लिए पहुंचे है तो मंदसौर के भी कई लोग दुकान लगाने के लिए यहां पहुंचे है। ऐसे में एक व्यापारी ने चार से पांच फॉर्म अलग-अलग नाम व आधार कार्ड के जरीए दिए है। तो कई लोगों ने दुकान नहीं लगाने के बाद भी प्लाट को बेचने की नियत से फॉर्म दिया। ऐसे में दुकान लगाने वाले व्यापारी इससे वंचित रह गए और जिन्हें दुकान नहीं लगाना है या किसी को एक से अधिक प्लाट आवंटन में मिल गया। तो ऐसे में कालाबाजारी शुरु हुई और प्लाट के लिए यहां दलाल सक्रिय हुई। नपा की मेला पॉलिसी इसलिए यहां फेल हुई कि इतने आवेदन आए तो पहले से इतनी दुकानें आवंटन करने के लिए जगह तय नहीं की और आधी दुकानों का आवंटन और आधी पहले से फिक्स यह दोहरी पॉलिसी विरोध का कारण बन रही है।


व्यापारियों को नहीं मिल रही जगह और पार्षदों के दिए नाम बढ़ा रहे मुसीबत
पशुपतिनाथ मंदिर पर मेले में अब तक दुकानों का झमला सुलझ ही नहीं रहा है। बाहर से आए कई व्यापारियों को दुकानों के लिए जगह नहीं मिली है। ढाई दिन का झोपड़ा क्षेत्र में खड़ी फसल में जेसीबी चलवाकर वहां दुकानों का आवंटन करना जरुर था लेकिन शनिवार को वहां कोई कार्रवाई आवंटन से जुड़ी नहीं हुई। बाहर से आए व्यापारी अपनी जगह तलाशने के लिए भटक रहे है और दलालों से संपर्क कर रहे है वही नपा की मेला आयोजन समिति को पार्षदों ने भी अपने क्षेत्र के कार्यकर्ताओं व अपने लोगों को दुकानों के लिए प्लाट देने के लिए नाम दिए है। ऐसे में उन्हें दुकान देना और व्यापारियों को देने के मुद्दें ने भी मेला समिति के सामने फजीहत खड़ी कर दी है।


प्रबंध समिति व नपा में भी नहीं सांमजस्य इसलिए विवाद
मेले का आयोजन नगर पालिका कर रही है तो मंदिर में पाटोत्सव मंदिर समिति करती है। नपा व मंदिर समिति में कई मामलों में सांमजस्य नहीं है इसलिए ही यहा विवाद बढ़ रहा है। कैफेटएरिया खाली पड़ा है लेकिन नपा ने मेला कार्यालय बनाने के लिए कमरो की मांग करी तो मंदिर समिति ने नहीं दिए। इसके अलावा मेला क्षेत्र में दुकानों के आवंटन के अलावा नपा ने कैफेटएरिया की खाली जगह जहां मंदिर समिति खुद दुकानों का आवंटन कर रही है वहां के साथ अन्य जगहों को भी दुकानों के आवंटन के लिए अधिग्रहित करने के लिए मांग की थी लेकिन मंदिर समिति ने उसके लिए भी अनुमति नहीं दी थी। अब विवाद बढ़ रहा है और मंदिर समिति के प्रबंधक कलेक्टर होते है ऐसे में नपा के अधिकारी खुलकर कुछ बोल नहीं रहे है।