
Arhar dal wholesale price cross rs 100, retail price reach upto Rs 150
नई दिल्ली। चने की दाल के बाद देश में सबसे ज्यादा उपयोग होने वाली आम लोगों की थाली में देखे जाने वाली अरहर की दाल को अब महंगाई का ग्रहण लग गया है। प्रमुख मंडिया में अरहर की दाल की सप्लाई घटने से कीमतों में भारी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। जिसकी वजह से दाल का थोक भाव 100 रुपए प्रति किलो से ज्यादा और खुदरा भाव 150 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया हैै आने वाले दिनों में हालात ठीक नहीं हुए तो कीमत में और भी इजाफा होने की संभावना बनी हुई है। वहीं व्यापारी अरहर दाल का इंपोर्ट करने के लिए लाइसेंस की डिमांड कई बार कर चुके हैं, लेकिन सरकार की ओर से अभी तक लाइसेंस जारी करने के आदेश नहीं दिए हैं।
अरहर की दाल में हुआ इजाफा
अरहर की दाल का थोक भाव यानी एक्स-मिल रेट मंगलवार को 115 रुपए प्रति किलो था। ऑल इंडिया दाल मिल एसोएिशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि बीते एक पखवाड़े में अरहर दाल के दाम में 25 से 30 फीसदी का इजाफा हुआ है। वहीं, अरहर का खुदरा भाव इस समय 120 रुपए से 150 रुपए प्रति किलो चल रहा है। ऐसे में आने वाले दिनों में खुदरा भाव और बढऩे की संभावना बनी हुई है।
लाइसेंस के लिए लिखा जा चुका है पत्र
अग्रवाल ने कहा कि त्योहारी सीजन से पहले अरहर की आपूर्ति का टोटा पडऩे से दाम बढऩे की संभावना से सरकार को अवगत करवाते हुए, कई बार पत्र लिखकर आयात के लिए लाइसेंस जारी करने की गुहार लगा चुके हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने इस साल चार लाख टन अरहर आयात का कोटा तय किया है, मगर आयात के लिए लाइसेंस अब तक जारी नहीं किया गया। कारोबारी बताते हैं कि अरहर के दाम में तेजी पर लगाम दो ही सूरत में लग सकती है। पहली, यह कि सरकारी एजेंसी नेफेड के स्टॉक में पड़ा अरहर (कच्चा) बाजार में उतारा जाय, या फिर अरहर आयात के लिए लाइसेंस जारी किया जाए।
आठ लाख टन अरहर का स्टॉक
इंडिया पल्सेस एंड ग्रेंस एसोसिएशन के अध्यक्ष जीतू भेडा ने कहा कि नेफेड के पास इस समय आठ लाख टन अरहर का स्टॉक है, लेकिन पता नहीं चल रहा है कि सरकार इसमें से कितना बफर स्टॉक रखेगी और कितना बाजार में उतारेगी। उन्होंने कहा कि अगर सरकार नेफेड का पूरा स्टॉक निकाल देती है, तो फिर दाम में तेजी पर लगाम लग जाएगी। इसके अलावा, आयात के लिए अगर लाइसेंस जारी करती है, तो भी कीमतों में नरमी आ जाएगी।
दिसंबर से पहले नहीं आएगी अरहर की फसल
आईपीजीए के अध्यक्ष ने बताया कि अरहर की नई फसल दिसंबर से पहले नहीं आने वाली है और अरहर की औसत खपत करीब तीन लाख टन होती है, ऐसे में नई फसल आने तक करीब नौ लाख टन अरहर की आवश्यकता है, लेकिन इसके लिए अगर आयात की अनुमति नहीं मिलती है, तो सरकार को अपना पूरा स्टॉक निकालना होगा।
अरहर का उत्पादन 40 लाख टन होने की संभावना
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी फसल वर्ष 2020-21 के पहले अग्रिम उत्पादन अनुमान में खरीफ सीजन में अरहर का उत्पादन 40 लाख टन होने का आकलन किया गया है। दलहन बाजार के जानकार अमित शुक्ला कहते हैं किअरहर के दाम में नरमी तभी आएगी जब आपूर्ति बढ़ेगी, क्योंकि आगे त्योहारी सीजन की मांग जोरों पर होगी। बाजार सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार, मंडियों में लेमन अरहर (वर्मा से आयातित) 74 रुपए प्रति किलो, जबकि देसी अरहर 83 रुपए प्रति किलो है।
बारिश से फसल को खतरा
शुक्ला ने बताया कि कर्नाटक में हुई भारी बारिश से फसल खराब होने की आशंका जताई जा रही है और अरहर की फसल इस बार विलंब से बाजार में आ सकती है, क्योंकि कई जगहों पर अभी अरहर में फूल ही लगा है। उन्होंने हर नवंबर के आखिरी पखवाड़े में अरहर की आवक शुरू हो जाती थी, मगर इस साल दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक आवक शुरू हो सकती है।
Updated on:
07 Oct 2020 08:50 am
Published on:
07 Oct 2020 08:36 am
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