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ये है सबसे बड़े कारपोरेट घोटाले, जिन्होंने तोड़ कर रख दी देश की इकोनॉमी की कमर

इन 72 सालों में देश को कई बड़े घोटाले भी झेलने पड़े जिसने भारतीय इकोनॉमी को झकझोड़ कर रख दिया। आइए जानते हैं ऐसे बड़े घोटालों के बारे में जिनमें निवेशकों के करोड़ों रुपए साफ हो गए...

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आजादी के बाद के सबसे बड़े कारपोरेट घोटाले जिसने इकोनॉमी की तोड़ दी कमर

नई दिल्ली। पिछले कई सालों में देश की इकोनॉमी में काफी बदलाव आ चुका है।आज भारत की इकोनॉमी कई देशों से आगे है। लेकिन इन कई सालों में देश को कई बड़े घोटाले भी झेलने पड़े जिसने भारतीय इकोनॉमी को झकझोड़ कर रख दिया। आइए जानते हैं ऐसे बड़े घोटालों के बारे में जिनमें निवेशकों के करोड़ों रुपए साफ हो गए...

हर्षद मेहता घोटाला

भारतीय इकोनॉमी के लिए साल 1990 से 92 का समय बड़े बदलाव का वक्त था। देश ने उदारवादी इकोनॉमी की तरफ चलना शुरू कर दिया था। लेकिन इसी दौर में देश के सामने एक ऐसा घोटाला सामने आया। जिसने शेयर खरीद-बिक्री की प्रकिया में ऐतिहासिक परिवर्तन किए। साल 1990 के समय से शेयर मार्केट में लगातार तेजी का रुख था। इस तेजी के लिए शेयर ब्रोकर हर्षद मेहता जिम्मेदार माना जाने लगा। यहां तक की हर्षद मेहता को बिग बुल का दर्जा दे दिया गया।

कैसे किया इतना बड़ा घोटाला

रकम - 4,000 करोड़ रुपए

एक वक्त ऐसा था जब हर्षद मेहता शेयर मार्केट में लगातार निवेश करता जा रहा था। जिस कारण शेयर मार्केट में लगातार तेजी बनती चली गई। लेकिन फिर सवाल उठा कि आखिर शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए मेहता के पास इतने पैसे कहां से आए। फिर अप्रैल 1992 में टाइम्स ऑफ इंडिया के एक पत्रकार ने इसका खुलासा किया। इस लेख में बताया गया कि कैसे हर्षद मेहता ने बैंकिंग के नियम का फयदा उठाकर बैंकों को बिना बताए उनके करोड़ों रुपए को शेयर मार्केट में लगाता था। मेहता दो बैंकों के बीच बिचौलिया बनकर 15 दिन के नाम पर लोन लेकर बैंकों से पैसा उठाता और फिर मुनाफा कमाकर बैंकों को पैसा लौटा देता। ये बात जब सामने आई तो शेयर मार्केट में तेज गिरावट आनी शुरू हो गई। 4,000 करोड़ रुपए के इस घोटाले के बाद ही सेबी को शेयर मार्केट में गड़बड़ी रोकने की ताकत दी गई।

सीआरबी स्कैम में डूबे 1200 करोड़ रुपए

साल 1996 में शेयर मार्केट और निवेशकों को एक और झटका लगा। जब कोलकाता के एक मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखने वाले चैन रुप भंसाली ने अपनी कंपनी के जरिए फ्रॉड कर निवशेकों के करीब 1200 करोड़ रुपए डूबो दिए

कैसे किया घोटाला

चैन रुप भंसाली ने 1995 में कई फाइनेंशियल सर्विस देने के नाम पर सीआरबी कैपिटल मार्केट्स, सीआरबी म्युचुअल फंड्स और सीआरबी शेयर कस्टोडियल सर्विसेज की कंपनी बनाई। इन कंपनियों के जरिए भंसाली ने कई कपंनियों और निवेशकों को आकर्षक स्कीम का झांसा देकर निवेश करवाया। भंसाली ने इन तीन कंपनियों के जरिए निवेशकों से करीब 1200 करोड़ रुपए की रकम जुटाई। हैरत की बात ये हैं कि इस मामले में अब तकक किसी को सजा नहीं हुई। कंपनी का मालिक चैन रुप भंसाली अपनी परिवार समेत हांग कांग शिफ्ट हो गया। हालांकि अब वह न्यायालय में अपील कर स्वयं अपनी पुर्नस्थापना के लिए सरकार से ही पैकेज मांग रहा है।

केतन पारेख घोटाले में डूबे 800 करोड़ रुपए

हर्षद मेहता की तर्ज पर केतन पारेख घोटाला को भी देश नहीं भूल सकता। कहा जाता है कि हर्षद मेहता केतन पारेख का मेंटर था। और उसी की तर्ज पर साल 2001 तक केतन पारेख देश का सफल ब्रोकर बन गया। हर्षद मेंहता की तरह ही केतन पारेख ने उस समय ग्लोबल ट्रस्ट बैंक और माधवपुरा मर्सेटाइल को-ऑपरेटिव बैंक से पैसा लिया और के-10 स्टॉक्स के नाम से स्टॉक को मार्केट में हेरफेर किया। पारेख ने तमाम नियमों को तोड़ते हुए कई फर्जी कंपनियों के शेयरों के भाव बढ़ा दिये थे, बाद में आई जोरदार बिकवाली से देश के लाखों निवेशकों को करोड़ों रुपए का चूना लगा। केतन पारिख पर 2017 तक का बैन है तब तक शेयर बाजार में ट्रेडिंग नही कर सकते।

14,162 करोड़ का था घोटाला

देश के बड़े कारपोरेट घोटालों में सत्यम घोटाले ने भी निवेशकों को 14,162 करोड़ रुपए का चूना लगाया। कम्पनी के प्रमुख रामलिंग राजू और उसके परिवार के सदस्यों ने अलग-अलग तरीके अपनाकर कंपनी को लाभ पहुंचाया। कंपनी के मालिक रामालिंगा राजू ने वर्ष 2009 में खुद यह स्वीकार किया था कि उसने सत्यम कंप्यूटर्स के अकाउंट्स और इसके बैंक बैलेंस में मुनाफे को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया। लेकिन जब घोटाला सामने आया तो इसे छिपाने के लिए रिश्तेदारों की कम्पनियों को अधिग्रहित करने का भी प्रयास किया गया।