22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

10 साल में 3 गुना से भी ज्यादा बढ़ गया Gold में Return, जानिए इसकी बड़ी वजह

बीते एक साल में 32 फीसदी से ज्यादा दिया है गोल्ड ने रिटर्न, 10 साल में बढ़ा तीन गुना इक्विटी, एफडी और बांड मार्केट में बीते दस सालों में दो से चार फीसदी तक कम हो गया है रिटर्न

4 min read
Google source verification
Gold returns increased more than 3 times in 10 years, know the reason

Gold returns increased more than 3 times in 10 years, know the reason

नई दिल्ली। कोरोना काल जहां काम धंधे सब बंद हो गए हैं। कारोबार पर जगरदस्त चोट लगी है। लोगों के पास कैश की किल्लत बढ़ गई है। करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं। ऐसे में आम लोगों को जो कुछ भी जमा पूंजी है उसे निवेश कहां करे सबसे बड़ी समस्या बन गई है। इसका कारण है शेयर बाजार अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। डेट एवं लिक्विड मार्केट भी थोड़ा कमजोर है। फिक्सड इनकम या यूं कहें फिक्सड डिपोजिट की ब्याज दरों में भारी कटौती देखने को मिल चुकी है। ऐसे में अब एक ही ऐसा सेगमेंट बचा है जहां पर निवेश किया जा सकता है और बेहतर रिटर्न की उम्मीद भी की जा सकता है। वो है गोल्ड यानी सोना। इस एक बड़ी वजह है रिटर्न। बाकी सेगमेंट के मुकाबले सोने में रिटर्न बाकियों से 5 से 8 गुना ज्यादा है। बीते एक साल के मुकाबले सोने ने 32 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दिया है। बीते दस सालों में निवेशकों को 3 गुना से ज्यादा का मुनाफा हुआ है। इसलिए कहा भी जाता है कि भारतीयों सोना बेहद पसंद भी है।

सोने के मुकाबले कोई नहीं
बीते एक साल में सोने जितना रिटर्न किसी ने भी नहीं दिया है। आंकड़ों पर गौर करें तो बीते एक साल में सोना 32.37 फीसदी के रिटर्न के साथ टॉप पर बना हुआ है। जबकि एफडी यानी फिक्सड डिपोजिट में यह रिटर्न महज6.5 फीसदी का है। वहीं बात शेयर बाजार की करें तो बीते एक साल में भारतीय इक्विटी मार्केट में जितना उछाल आया उससे ज्यादा गिरावट देखने को मिली। कयास यह थे कि बीएसई मोदी सरकार के दोबारा आने के बाद 44 हजार अंकों को पार करेगा। लेकिन कोविड आने के बाद थोड़ी रिकवरी तो देखने को मिली, लेकिन अभी तक दोबाररा से 40 हजार का आंकड़ा नहीं छू सकता है। इसलिए एक साल में सिर्फ 6.24 फीसदी का रिटर्न देखने को मिला है। वहीं लिक्विड फंड जिसे आसान भाषा में कहें तो म्यूचुअल फंड में बीते एक साल में 4.48 फीसदी का रिटर्न देखने को मिला है। खास बात तो ये है कि म्यूचुअल फंड में गोल्ड से ज्यादा लोग निवेश करते हैं। जिनकी हिस्सेदारी 40 फीसदी से ज्यादा है।

3 साल पहले इतना नहीं था गोल्ड में रिटर्न
अगर बात अब से तीन साल पहले की करें तो गोल्ड में रिटर्न इतना नहीं था। आंकड़ों के अनुसार तीन साल पहले गोल्ड में रिटर्न 20 फीसदी भी नहीं था। जबकि बाकी सेगमेंट की बात करें तो तीन साल पहले भी एक म्यूचुअल फंड को छोड़कर बाकी सेगमेंट में वैसा रिटर्न था। लिक्विड फंड में तीन पहले 6 फीसदी से ज्सादा रिटर्न मिलता था, जोकि धीरे-धीरे कम हुआ। वहीं गोल्ड में रिटर्न 19.74 फीसदी का रिटर्न था। एफडी यह रिटर्न 6.25 फीसदी देखने को मिलता था। वहीं शेयर बाजार में यह रिटर्न 6.21 फीसदी था।

5 साल पहले की कहानी थी कुछ और
अगर बात पांच साल पहले की करें तो सोने में रिटर्न मौजूदा समय के मुकाबले आधा भी नहीं था। जबकि उस समय शेयर बाजार में लोग ज्यादा विश्वास करते थे, उसमें रिटर्न 8 फीसदी से ज्यादा था। वहीं फिक्स्ड डिपोजिट की ब्याज दरें अच्छी होने के कारण लोगों का रुझान उस ओर भी था और एफडी में रिटर्न रेट भी उस काफी अच्छा था। म्यूचुअल फंड में भी 6.50 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न देखने को मिल रहा था। आंकड़ों के अनुसार पांच साल पहले सोना 14.36 फीसदी, एफडी 7.25 फीसदी, शेयर बाजार 8.18 फीसदी और लिक्विड फंड में 6.50 फीसदी का रिटर्न देखने को मिल रहा था।

10 साल पहले बदली हुई थी पूरी तस्वीर
अगर बात 10 साल पहले की करें तो निवेश और रिटर्न दोनों की तस्वीर काफी बदली हुईइ थी। भले ही उस समय भी सोना रिटर्न के मामले में बाकियों के मुकाबले ज्यादा था, लेकिन अंतर बेहद मामूली था। उस समय एफडी और लिक्विंड फंड में लोगों को ज्यादा भरोसा और सोने के मुकाबले में रिटर्न भी अच्छा दिख रहा था। जबकि उस समय लोगों को मौजूदा समय के मुकाबले शेयर बाजार से भी बेहतर रिटर्न मिल रहा था। आंकड़ों के अनुसार 10 साल पहले सोने में रिटर्न 10.30 फीसदी था। जबकि एफडी में रिटर्न 7.75 फीसदी देखने को मिल रहा था। शेयर बाजार में रिटर्न की स्थिति 7.08 फीसदी थी। वहीं लिक्विड फंड में निवेशकों को 7.71 फीसदी मिल रहा था।

क्या कहते हैं जानकार?
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के अनुसार बीते तीन सालों से गोल्ड के फेवर में कई सारी चीजें रही हैं। पहला, जियो पॉलिटिकल टेंशन, दूसरा ट्रेड वॉर, तीसरा सिर्फ भारत ही नहीं ग्लोबल जीडीपी के आंकड़ों का अच्छा ना होना। जिसकी वजह से इक्विटी मार्केट में लगातार गिरावट देखने को मिली है और इंवेस्टर्स का रुझान गोल्ड की ओर गया है। उन्होंने आगे कहा कि भारत के हिसाब से बात करें तो 2018 से इक्विटी रिटर्न में लांग टर्म कैपिटल गेंस लगने लगा है तब से निवेशकों का रुझान शेयर बाजार में कम हुआ है। वहीं म्यूचुअल फंड का इंट्रस्ट रेट भी एफडी के रेट की तरह की चलता है। बीते दो से तीन सालों में ब्याज दरों में गिरावट देखने को मिली है ऐसे में दोनों ही एसेट क्साल में रिटर्न कम हुआ है। जिसका असर भी सोने में देखने को मिला है।