
नई दिल्ली।कोरोना वायरस महामारी को लेकर बनी अनिश्त्तिता की स्थिति में शेयर बाजार में लगातार उतार-चढ़ाव का दौर देखने को मिल रहा है। बाजार की हालत कुछ ऐसी है कि कभी यह 500 अंक ऊपर जाता है और अगले ही दिन में इसमें 800 अंकों की गिरावट देखने को मिलती है। शेयर बाजार का यह वो दौर है जब निवेशकों को यह पता नहीं चल पा रहा है कि आखिर बाजार में अधिकतम कितनी गिरावट होगी? मुंबई स्थित 35 वर्षीय निवेशक नूरेश मेरानी के पोर्टफोलियो की स्थिति बेहद खराब है। फरवरी में शुरू हुई बिकवाली के बाद से उनकी वेल्थ में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। ऐसे समय में नुरेश को इस बात की चिंता नहीं आखिर ऐसे समय में क्या किया जाए? नुरेश का कहना है कि ऐसे माहौल में आप कुछ भी नहीं कर सकते हैं। मौजूदा समय में उन्होंने अपना ट्रेडिंग टर्मिनल्स बंद कर दिया है।
42 लाख करोड़ स्वाहा
अंग्रेजी मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में वो कुछ नहीं कर रहे हैं। उनका कहना है कि बाजार में अस्थिरता के बाद उनके पोर्टफोलियो को तगड़ा झटका लगा है। उन्होंने कहा कि इससे पहले बाजार में इतनी बड़ी गिरावट कभी देखने को नहीं मिली। ऐसे में सबसे बेहतर यह है कि आप शांति से बैठे रहें और इंतजार करें कि बाजार में कब कमबैक की स्थिति बनती है। जनवरी से मार्च के बीच में घरेलू इक्विटी इंडेक्स करीब 29 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। इस दौरान निवेशकों के करीब 42 लाख करोड़ रुपए स्वाहा हो गए हैं। मौजूदा समय में नुरेश 21 दिनों के लॉकडाउन के दौरान अपने परिवार के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड कर रहे हैं।
स्थिरता के बाद निवेश की सलाह
उन्होंने यह भी बताया कि जब मैं कुछ दिनों के लिए ट्रेडिंग रोक चुका हूं तो ऐसे समय में फंडामेंटल तौर पर मजबूत कंपनियों के बारे में जानकारी जुटा रहा हूं। इन कंपनियों के स्टॉक्स में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। उन्होंने कहा कि हम ब्रॉडबेस्ड मार्केट एनलिसिस करने में जुटे हैं। हम यह समझ रहे कि इसके पहले भी ऐसी संकट की स्थिति में कौन सी कंपनियों ने बेहतर परफॉर्म किया है। हम अपने स्टॉक्स को तभी बढ़ाएंगे जब बाजार में थोड़ी स्थिरता आएगी।
2008 की तरह देखने को मिल रही है गिरावट
जानकारी के अनुसार बीएसई और एनएसई में कारोबार कर रहे 550 लिक्विड स्टॉक्स में 50 से 90 फीसदी तक तक गिरावट देखने को मिल चुकी है। खास बात तो ये है कि जनवरी में सेंसेक्स ऑल टाइम हाई 42,273 पर था। जबकि आज यानी बुधवार को सेंसेक्स 28500 के निचले स्तर पर आ चुका है। मेरानी का कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब शेयर बाजार में इतनी बड़ी गिरावट देखने को मिली है। 2008 में भी ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस के दौरान भी सेंसेक्स और निफ्टी अपने उच्चतम स्तर 60 फीसदी से नीचे गिर गए थे। उस दौरान भी उन्होंने और उनकी टीम ने अक्टूबर 2008 के बाद 6 महीनों के लिए कुछ नहीं किया था।
आखिर क्यों हो रही है तुलना
उन्होंने कहा कि बाजार का मौजूदा माहौल काफी कुछ 2008 के दौर जैसा ही है। जनवरी 2008 से मार्च 2009 के बीच बिकवाली के दौरान बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप में 80 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली थी। जनवरी 2018 के बाद से इन दोनो ब्रॉडर मार्केट इंडेक्स में करीब 50 फीसदी तक की गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि मैं इस साल को 2008 और 2003 के दौर से तुलना करना चाहूंगा। उस दौरान भी निफ्टी कुछ समय तक लुढ़क रहा था और अचानक ही बहुत से स्टॉक्स में तेजी देखने को मिली।
Updated on:
02 Apr 2020 08:43 am
Published on:
01 Apr 2020 07:15 pm
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