
नई दिल्ली। आपको सस्ते कर्ज के लिए अभी थोड़ा और इंतजार करना होगा। भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक समीक्षा नीति में कोई बदलाव नहीं किया है। आरबीआई ने रेपो रेट को 6 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट को 5.75 फीसद पर बरकरार रखने का फैसला किया है। इससे पहले अक्टूबर में हुई बैठक में भी आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था। ऐसे में अब आपको सस्ते कर्ज के लिए एमपीसी की अगली बैठक का इंतजार करना होगा। वहीं चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में महंगाई के 4.2 से 4.6 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। रिजर्व बैंक के इस फैसले के के बाद बाजार में तेज गिरावट देखने को मिली है।
क्या होता है आरबीआई मौद्रिक नीति समीक्षा
मौद्रिक नीति एक तरह का टूल है जिसके आधार पर बाज़ार में मुद्रा की आपूर्ति को नियंत्रित किया जाता है। मौद्रिक नीति ही यह तय करती है कि रिज़र्व बैंक किस दर पर बैंकों को क़र्ज़ देगा और किस दर पर उन बैंकों से वापस पैसा लेगा। मौद्रिक नीति को तय करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक अपने केन्द्रीय बोर्ड की सिफ़ारिशे शामिल करता है। जिसमें अर्थशास्त्री, उद्योगपति और नीति निर्माता शामिल होते हैं। रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति के लिए सरकार के आर्थिक विभागों से सलाह-मशविरा करता है, लेकिन अंतिम निर्णय रिज़र्व बैंक का ही होता है।
क्यों नहीं घटाई ब्याज दरें
आरबीआई के पास ब्याज दरों में कमी करने की गुंजाइश काफी कम थी और ब्याज दरों में इजाफा होना भी मौजूदा लिहाज से मुश्किल नजर आ रहा है। अगर रिजर्व बैंक ब्याज दरों को बढ़ाता तो महंगाई दर में और इजाफा हो सकता है। ऐसे में आरबीआई को ग्रोथ और ब्याज में से किसी एक को चुनना होगा। मौजूदा दौर के आरबीआई पहले ही कच्चे तेल और महंगाई की मुश्किल झेल रही है। ऐसे में अगर ब्याज दरों में और इजाफा होता है तो विदेशी निवेशक भारत से पैसा निकालना शुरु कर देगें। जिससे मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। वहीं ऐसा हमेशा देखा गया है कि महंगाई के आंकड़े ज्यादा आने के कारण सस्ते कर्ज की उम्मीद कम हो जाती है।
Published on:
06 Dec 2017 02:56 pm
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