
US स्टॉक्स में निवेश करना पहले के मुकाबले अब काफी आसान हो चुका है. (PC: Canva)
गूगल (Alphabet), फेसबुक (Meta), टेस्ला और NVIDIA जैसी अमेरिकी कंपनियां पूरी दुनिया में टेक्नोलॉजी और इनोवेशन का चेहरा हैं. अपने-अपने सेक्टर में इन कंपनियों का कोई सानी नहीं है. यही वजह है कि बीते वर्षों में इन कंपनियों के शेयरों ने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिए हैं. अगर आप भी चाहते हैं कि इन कंपनियों के शेयरों में निवेश करके पैसा बनाया जाए तो ऐसा हो सकता है, ये कानूनी रूप से वैध और बेहद आसान है. तो चलिए जानते हैं वो तरीके जिससे आप अमेरिकी बाजार में लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में निवेश कर सकते हैं. अमेरिकी शेयरों में निवेश के दो तरीके हैं -
घरेलू ब्रोकर के साथ अकाउंट: आप सीधे ही अमेरिकी कंपनियों के शेयर में निवेश करें, इसके लिए आपको एक ओवरसीज ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होगा. ये अकाउंट आप किसी घरेलू ब्रोकर के साथ खोल सकते हैं. कई घरेलू ब्रोकर्स के अमेरिकी ब्रोकर्स के साथ टाई-अप होते हैं. वो आपकी ट्रेड के लिए एक इंटरमीडियरीज की तरह काम करते हैं. अकाउंट खोलने के लिए आपको कुछ पेपर वर्क करना होता है, कुछ डॉक्यूमेंट्स सबमिट करने होते हैं.
क्या डॉक्यूमेंट चाहिए?
PAN कार्ड
Aadhaar
बैंक डिटेल्स
KYC प्रक्रिया
भारत में US स्टॉक्स में निवेश करने के लिए आप इन ऐप्स का इस्तेमाल कर सकते हैं, यहां आप ओवरसीज अकाउंट खोलकर अमेरिकी शेयरों में निवेश शुरू कर सकते हैं.
इन ऐप्स पर खोल सकते हैं अकाउंट
लेकिन अमेरिकी शेयर तो काफी महंगे होते हैं, जैसे एप्पल का शेयर 275 डॉलर का है, यानी तकरीबन 25,000 रुपये का एक शेयर. अगर आपके पास इतनी बड़ी रकम नहीं है तो आप इन ऐप्स के जरिए Fractional Shares भी खरीद सकते हैं. मतलब एप्पल का पूरा शेयर नहीं, उसका छोटा हिस्सा भी खरीद सकते हैं. मतलब आप चाहें तो 2,500 रुपये में एक शेयर का 10वां हिस्सा भी खरीद सकते हैं.
आप चाहें तो ओवरसीज अकाउंट किसी विदेशी ब्रोकर के साथ भी खोल सकते हैं, जो कि भारत में मौजूद हो. कुछ ब्रोकर्स जैसे - Charles Schwab, Ameritrade, Interactive Brokers काफी पॉपुलर हैं. अकाउंट खोलने से पहले सभी तरह के चार्जेस जरूर समझ लें
ये हैं विदेशी ब्रोकर्स
विदेशी ब्रोकर के साथ अकाउंट: लेकिन ये बात ध्यान रहे कि अमेरिकी शेयरों में निवेश करना महंगा होता है, क्योंकि ब्रोकरेज भई ज्यादा होता है, साथ ही करेंसी कन्वर्जन चार्ज भी लगता है. इसलिए अकाउंट खोलने से पहले सभी चार्जेस को अच्छी तरह से समझ लें.
जैसे आप भारतीय बाजारों में सीधा निवेश करने की बजाय म्यूचुअल फंड्स के जरिए निवेश करते हैं, ठीक उसी तरह आप अमेरिकी शेयरों में आप इनडायरेक्ट खरीदारी कर सकते हैं. वो दो तरह से होती है
म्यूचुअ फंड्स: इसमें आपको विदेशी ट्रेडिंग अकाउंट खोलने की जरूरत नहीं पड़ती और न ही कोई न्यूनतम बैलेंस बनाए रखना पड़ता है, जैसा कि कुछ स्टॉक ब्रोकरों के साथ डायरेक्ट इंटरनेशनल निवेश की सुविधा देने पर होता है. भारत में कई म्यूचुअल फंड्स उपलब्ध हैं जो अमेरिकी स्टॉक्स में निवेश करते हैं. ये फंड्स भारतीय निवेशकों को ग्लोबल डाइवर्सिफिकेशन देने का आसान तरीका मुहैया कराते हैं.
ETFs: आप US स्टॉक्स में निवेश करने के लिए ETF का रास्ता भी अपना सकते हैं. इसकी दो मुख्य कैटेगरी हैं – डायरेक्ट और इंडायरेक्ट. आप डायरेक्ट US ETF खरीद सकते हैं (घरेलू या इंटरनेशनल ब्रोकर के जरिए) या फिर भारतीय ETF जो इंटरनेशनल इंडेक्स को ट्रैक करते हैं.
अब सवाल ये है कि आप कितना पैसा अमेरिकी शेयरों में निवेश कर सकते हैं. तो इसके लिए आपको रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) को समझना होगा, जिसके मुताबिक कोई भी भारतीय रेजिडेंट इंडिविजुअल बिना किसी स्पेशल परमिशन के किसी एक वित्त वर्ष में 2.5 लाख डॉलर तक विदेश रेमिट कर सकता है. यह लिमिट विदेशी स्टॉक्स, ETF, म्यूचुअल फंड्स या अन्य परमिटेड निवेश के लिए लागू होती है. याद रहे कि ये लिमिट प्रति व्यक्ति है, फैमिली में हर मेंबर की अलग लिमिट होती है. सभी रेमिटेंस जैसे कि ट्रैवल, एजुकेशन, गिफ्ट, निवेश को मिलाकर यह लिमिट लागू होती है.
Published on:
17 Dec 2025 03:02 pm
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