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कर्मचारी ने बीमारी के लिए मांगी छुट्टी, लेकिन कंपनी ने जो किया- वो शॉकिंग था

इंटर्न ने डॉक्टर की सलाह को तवज्जो दी और ऑफिस नहीं गया, लेकिन इसके बाद जो हुआ इसका अंदाजा उसे कतई नहीं था.

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इसने हमारे देश में वर्कप्लेसेज पर श्रम कानूनों और वर्क कल्चर को लेकर बनाई गई छवि पर सवालिया निशान लगा दिया है. (PC: Canva)

क्या किसी कर्मचारी को सिर्फ इसलिए नौकरी से निकाला जा सकता है, क्योंकि उसने छुट्टी मांग ली थी. आजकल ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जिसने ऑफिसों में कर्मचारियों खासतौर पर इन्टर्न्स के साथ खराब व्यवहार को लेकर एक बहस छेड़ दी है. कई मामलों में सामने आ रहा है कि किसी कर्मचारी ने बीमारी की वजह से छुट्टी मांगी तो उस पर कार्रवाई की गई. हाल ही में एक ऐसी घटना हुई है, जिसमें एक इंटर्न ने मेडिकल लीव के लिए एप्लीकेशन दी तो दो दिन बाद उसे नौकरी से निकाल दिया गया. इसने हमारे देश में वर्कप्लेसेज पर श्रम कानूनों और वर्क कल्चर को लेकर बनाई गई छवि की बेनकाब कर दिया है.

इंटर्न ने मांगी छुट्टी, तो मैनेजर ने किया इनकार


रेडिट पर शेयर की गई एक पोस्ट के मुताबिक, एक इंटर्न जिसको गंभीर एलर्जी हो गई थी, डॉक्टर ने बताया कि उसे एटॉपिक डर्मेटाइटिस है. डॉक्टर की सलाह थी कि बाहर निकलने से परहेज करें और रोजमर्रा की आदतों में बदलाव लाएं. इंटर्न ने डॉक्टर की सलाह पर ऑफिस से दो दिन की छुट्टी मांगी, लेकिन उसके मैनेजर ने इनकार कर दिया. वजह बताई गई कि नए फाइनेंशियल सिस्टम में प्रोफाइल सिंक करने के लिए ऑफिस में मौजूदगी जरूरी है. इंटर्न को बाद में लगा कि यह बहाना महज दिखावा था और असल वजह कुछ और थी.

इंटर्न ने डॉक्टर की सलाह को तवज्जो दी और ऑफिस नहीं गया, लेकिन इसके बाद जो हुआ इसका अंदाजा उसे कतई नहीं था. कुछ समय बाद उसको एक ई-मेल आता है. जिसमें लिखा गया था कि उसे नौकरी से निकाला जा रहा है क्योंकि उसमें समर्पण के स्तर को लेकर चिंताएं हैं. इंटर्न ने बताया कि वो वहां पर बहुत कम सैलरी में काम कर रहा था, उसे महीने में 60 डॉलर या करीब 5,000 रुपये मिलते थे.

हमने पहले भी कई बार देखा है कि ऑफिसों में अक्सर इस तरह का दिखावे का माहौल बनाया जाता है कि कर्मचारी उनके परिवार की तरह हैं, ताकि वो ज्यादा से ज्यादा समय तक ऑफिस के लिए काम करें. मगर जब बात कर्मचारी के भले की आती है, जब वो जरूरत में होता है तो यही ऑफिस मैनेजमेंट उसको परिवार मानने की बजाय उसको तुरंत नौकरी से निकालने पर आमादा हो जाता है. मजे की बात ये है कि ऐसे संस्थानों की इन कार्रवाइयों को रोकने वाला कोई नहीं होता. बहुत कम ही कर्मचारी होते हैं जो इसके खिलाफ कहीं जाकर शिकायत करते हैं.

सोशल प्लेटफॉर्म पर लोगों की प्रतिक्रियाएं


जब ये स्टोरी रेडिट पर वायर हुई तो लोगों ने तुरंत अपनी प्रतिक्रियाएं देना शुरू कर दिया. ज्यादातर यूजर्स का मानना था कि नौकरी से ऐसे निकाला जाना ऐसा लगता है कि कोई बदले की कार्रवाई है. कई ने सुझाव दिया कि लेबर डिपार्टमेंट से संपर्क करें या वकील की सलाह लें, क्योंकि गलत तरीके से निकालना या न्यूनतम वेतन के उल्लंघन जैसे मुद्दे हो सकते हैं. कुछ ने कहा कि अगर यह इंटर्नशिप किसी शिक्षण संस्थान से जुड़ी थी, तो कॉलेज या यूनिवर्सिटी को सूचना देनी चाहिए ताकि आगे ऐसे न हो.