
Repo rate remains unchanged at 5.15% and maintains accomodative stance
नई दिल्ली। महंगाई से डर के बीच भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो दरों में किसी तरह की कटौती ना करने का निर्णय लिया है। जानकारी के अनुसार मौद्रिक समीक्षा समिति की बैठक में नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। यह लगातार दूसरी बार है जब नीतिगत दरों को ना तो बढ़ाया गया है और ना ही कम किया गया है। खास बात तो ये है कि यह मौद्रिक समीक्षा की बैठक मौजूदा वित्त वर्ष की आखिरी बैठक थी। वहीं दूसरी ओर चालू वित्त वर्ष की जीडीपी अनुमान को पिछली बार की तरह 5 फीसदी पर समान रखा है। वहीं 2020-21 के जीडीपी अनुमान को 6 फीसदी रखा है। आखिरी बार नीतिगत दरों में बदलाव अक्टूबर की बैठक में किया गया था। अक्टूबर तक पांच बैठकों में आरबीआई ने रेपो दरों में 135 अंकों यानी ब्याज दरों में 1.35 फीसदी की कटौती की थी।
आखिर क्यों नहीं किया कोई बदलाव
आरबीआई एमपीसी के अनुसार ये निर्णय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के लिए मध्यम अवधि के लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से हैं, जोकि विकास का समर्थन करता है। दिसंबर में पिछली नीति समीक्षा में भी दरों को अपरिवर्तित रखा गया था। आरबीआई एमपीसी ने रेपो दर को 5.15 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा और कहा कि जब तक महंगाई दर बनी रहेगी तब तक इसमें स्थिरता का रुख बनाए रखा जा सकता है। रिवर्स रेपो दर को 4.90 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा गया है।
पांच बार हो चुकी है कटौती
अक्टूबर 2019 त आरबीआई ?ई एमपीसी कुल 135 आधार अंकों की दर से पांच बार कटौती कर चुका है। एमपीसी ने रेपो रेट को स्थिर बनाए रखने के पक्ष में 6-0 से मतदान किया। कमेटी ने पिछली बैठक में रेपो रेट में कटौती के कारण महंगाई पर लगाम लगाई थी। दिसंबर 2019 में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7.35 फीसदी हो गई क्योंकि खाद्य मूल्य आरबीआई के लक्ष्य से अधिक हो गए थे। अर्थशास्त्रियों के एक रॉयटर्स पोल ने आरबीआई एमपीसी से अक्टूबर 2020 तक रेपो दर 5.15 फीसदी रखने की उम्मीद की थी।
Updated on:
06 Feb 2020 05:20 pm
Published on:
06 Feb 2020 12:27 pm
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