
NSE पर सेबी ने लगाया 625 करोड़ का जुर्माना, दो पूर्व अधिकारियों के खिलाफ भी की बड़ी कार्रवाई
नई दिल्ली। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने मंगलवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ( NSE ) को एक खास जगह पर लगाए गए कुछ सर्वर में को विशेष लाभ पहुंचाने ( को-लोकेशन ) के मामले में 625 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि सेबी के एक विशेष कोष में जमा कराने का आदेश दिया है। एनएसई की को-लोकेशन सुविधा के माध्यम से उच्च आवृति वाले कारोबार में अनियमितता के आरोपों की जांच सेबी के द्वारा की जा रही है। इसके अलावा कंपनी के दो पूर्व प्रमुखों पर भी कार्रवाई की गई
624 करोड़ रुपए का करना होगा भुगतान
कंपनी को आदेश देते हुए सेबी ने कहा है कि एनएसई ( NSE ) को 624.89 करोड़ रुपए और उसके साथ उसपर 1 अप्रैल 2014 से 12 फीसदी सालाना ब्याज दर सहित पूरी राशि सेबी द्वारा स्थापित निवेशक सुरक्षा एवं शिक्षा कोष (आईपीईएफ) में भरनी होगी।
NSE के दो अधिकारियों के खिलाफ की कार्रवाई
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ( सेबी ) ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के दो पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारियों रवि नारायण और चित्रा रामकृष्ण को एक अवधि विशेष के दौरान प्राप्त वेतन के 25 फीसदी हिस्से को वापस करने के लिए भी कहा है। सेबी ने इन दोनों पूर्व अधिकारियों पर और भी कई तरह के काम करने से रोक लगाई है जैसे आने वाले पांच सालों तक यो दोनों अधिकारी किसी सूचीबद्ध कंपनी या बाजार ढांचा चलाने वाले संस्थान या बाजार में बिचौलिए का काम करने वाली इकाईयों के साथ काम नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा सेबी ने दोनों अधिकारियों को 6 महीने तक के लिए बाजार में सीधे तौर पर काम करने से भी रोक लगा दी है।
2015 में भी की जा चुकी है कार्रवाई
आपको बता दें कि साल 2015 में एक शिकायत के बाद एनएसई की को-लोकेशन सुविधा नियामकीय जांच के घेरे में आई थी। इस मामले में आदेश जारी करते हुए सेबी ने कहा कि एनएसई ने टिक-बाय-टिक (टीबीटी) डेटा रूपरेखा के संबंध में अपेक्षित प्रयास नहीं किया। टीबीटी डेटा फीड ऑर्डर बुक में हुए हर बदलाव के बारे में जानकारी देता है।
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Published on:
01 May 2019 10:13 am
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