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अगले सप्ताह आर्थिक आंकड़े व वायदा-विकल्प से तय होगी शेयर बाजार की चाल

वैश्विक व्यापक आर्थिक आंकड़े, वैश्विक बाजारों के प्रदर्शन, मॉनसून की चाल, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) और डॉलर के खिलाफ रुपये की चाल और कच्चे तेल की कीमतों के प्रदर्शन के आधार पर तय होंगे।

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नई दिल्ली। अगले सप्ताह भारतीय शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव का रुख बना रह सकता है, क्योंकि निवेशक अगस्त 2019 से सितंबर 2019 सीरीज के वायदा और विकल्प खंड में अपनी स्थिति तय करेंगे। जबकि अगस्त 2019 की डेरिवेटिव निविदा की समाप्ति गुरुवार (29 अगस्त ) को हो रही है।

इसके अलावा बाजार की चाल घरेलू और वैश्विक व्यापक आर्थिक आंकड़े, वैश्विक बाजारों के प्रदर्शन, मॉनसून की चाल, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) और घरेलू संस्थापक निवेशकों (डीआईआई) द्वारा किए गए निवेश, डॉलर के खिलाफ रुपये की चाल और कच्चे तेल की कीमतों के प्रदर्शन के आधार पर तय होंगे।

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वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार (23 अगस्त) को एक प्रेस काॅन्फ्रेंस में घोषणा की कि अर्थव्यवस्था की खस्ता हालात को सुधारने के लिए केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी डालेगी, जिससे वे 5 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त कर्ज मुहैया करा पाएंगे। इससे कॉर्पोरेट्स, खुदरा कर्जदारों, और छोटे व्यापारियों समेत अन्य को फायदा होगा। इस कदम से क्रेडिट की वृद्धि दर को बढ़ावा मिलेगा, जो करीब 12 फीसदी तक होगी।

बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये पुर्नपूंजीकरण की घोषणा इस साल जुलाई में पेश किए गए पूर्ण बजट में की गई थी। यह कदम क्रेडिट ग्रोथ (कर्ज उठाव) को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है, ताकि भारत को वित्तवर्ष 2024-15 तक 5 ट्रिलियन वाली अर्थव्यवस्था बनाया जा सके। बैंकरों का कहना है कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कर्ज देने की दर को सालाना 18-20 फीसदी की दर से बढ़ाना होगा।

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एक अन्य नीतिगत उपाय में, सीतारमण ने कहा कि बैंक अब सभी कर्जदाताओं को लाभान्वित करने के लिए एमसीएलआर कटौती के हिसाब से कर्ज की दर में कटौती करेंगे। इन दोनों कदमों से होम लोन, वाहन और अन्य खुदरा कर्ज की ईएमआई कम हो जाएगी, क्योंकि अब इन्हें सीधे रेपो दर से जोड़ दिया जाएगा। निर्मला ने कहा, "उद्योग के लिए कार्यशील पूंजी कर्ज भी सस्ता होगा।"

सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को कर्ज चुकाने के 15 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से कर्ज से जुड़े दस्तावेज लौटाने का निर्देश दिया है। इससे उधारकर्ताओं को लाभ होगा, जिनके संपत्ति गिरवी रखी होती है, क्योंकि इससे उन्हें आगे भी कर्ज जुटाने में मदद मिलेगी। बाजार में तरलता प्रदान करने और लोगों के खर्च करने के लिए अधिक पैसा देने के अन्य उपायों के अलावा, सरकार ने एनबीएफसी और एमएसएमई को अधिक क्रेडिट सहायता (कर्ज) देने का फैसला किया है।

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केंद्र सरकार ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेश को बड़ी मात्रा में बाहर जाने से रोकने के लिए शुक्रवार को इस पर लगाया गया सरचार्ज वापस ले लिया। इस कदम के परिणामस्वरूप एफपीआई के लिए कर चार-सात प्रतिशत तक घट जाएगा। इस कदम से घरेलू निवेशक भी खुश हैं, क्योंकि यह उनके ऊपर भी लागू होगा।

सरकार ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है, जब कई सप्ताहों से एफपीआई सिर्फ बिकवाली कर रहे थे, क्योंकि केंद्रीय बजट में सरचार्ज लगा दिया गया था। एफपीआई ने बजट घोषणा के बाद से लगभग 8,500 करोड़ रुपये निकाल लिए हैं।

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केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने पहले बजट में सुपर-रिच लोगों पर या जिनकी वार्षिक कर योग्य आय दो करोड़ रुपये से अधिक है, उनपर सरचार्ज बढ़ा दिया था। जिन लोगों की कर योग्य आय दो करोड़ रुपये और पांच करोड़ के बीच उनपर सरचार्ज 25 प्रतिशत और जिनकी आय पांच करोड़ रुपये से अधिक है, उनपर सरचार्ज 39 प्रतिशत कर दिया गया था।

हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों और रियल एस्टेट क्षेत्र को बड़ी राहत प्रदान करते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि नेशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी) एचएफसीज को 20,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त प्रदान करेंगे, जिससे कुल तरलता सहायता 30,000 करोड़ रुपये की हो जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसीज) और एचएफसीज को एक लाख करोड़ रुपये तक की संपत्ति खरीदने के लिए बजट में घोषित आंशिक क्रेडिट गारंटी योजना की निगरानी प्रत्येक बैंक में उच्चतम स्तर पर की जाएगी।


इसके अलावा, उन्होंने एक और कदम की घोषणा की, जिससे होम लोन की दरें कम होंगी। उन्होंने कहा कि बैंक अब रेपो रेट से जुड़े लोन उत्पाद पेश करेंगे। आर्थिक मोर्चे पर, देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में घटकर 5.8 फीसदी हो गई, जोकि पहली तिमाही के दौरान 6.6 फीसदी दी। सरकार ने शुक्रवार (23 अगस्त) को यह आंकड़े जारी किए।