
नई दिल्ली। अमरीकी सेंट्रल बैंक ने इस साल तीसरी बार ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी कर दी है। दो दिनों की बैठक के बाद अमरीकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में 0.25% की बढ़ोतरी की है। जिसके बाद अब अमेरिका में ब्याज दरें बढ़कर 1.25 से 1.50 फीसदी हो गई है। साथ ही फेड ने साल 2018 में तीन और ब्याज दरों में बढ़ोतरी का अनुमान जताया है। ब्याज दरों में बढ़ोतरी से साफ है कि अमरीकी इकोनॉमी मजबूत हो रही है। अमरीका में ब्याज दरें बढ़ने से भारत में महंगाई बढ़ने की आशंका बढ गई है। क्योंकि ब्याज दरों में बढ़ोतरी से रुपया कमजोर होगा जबकि डॉलर मजबूत होगा। डॉलर में मजबूती से महंगाई बढ़ सकती है। इस बढ़ोत्तरी के बाद साल 2008 के बाद अमेरिका में ब्याज दरें अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। आपको बता दें कि फेडरल रिजर्व की ओपन कमेटी में ब्याज दरें बढ़ाने के पक्ष में 7 वोट जबकि विपक्ष में 2 वोट पड़े।
जीडीपी ग्रोथ अनुमान भी बढ़ाया
अमरीकी इकोनॉमी और जॉब मार्केट में मजबूत तेजी देखने को मिल रही है। इसी के चलते फेड ने जीडीपी ग्रोथ का अनुमान भी 2.1% से बढ़ाकर 2.5% कर दिया है। बैंक की ओर से जारी बयान में कहा गया है इस बढ़ोतरी के साथ नौकरी, मार्केट और इकोनॉमिक व्यवस्था को मजबूत मिल सकती है। अमरीकी सेंट्रल बैंक ने दरें बढ़ाने का फैसला जॉब मार्केट को देखते हुए किया है, बैंक ने अमेरिका में नौकरियों को लेकर बहुत गुलाबी तस्वीर पेश की है। महंगाई दर के 2 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद है और चरणों में ब्याज बढ़ाने से रोजगार बढ़ेगा।
भारत पर होगा ये असर
अमरीका में ब्याज दरें बढ़ने के चलते डॉलर में अगर मजबूती ज्यादा होती है भारतीय रुपए पर दबाव बढ़ेगा। मजबूत डॉलर का असर सोने-चांदी और कच्चे तेल की कीमतों पर भी पड़ता है। डॉलर ज्यादा मजबूत हुआ तो सोने की कीमतों पर दबाव बढ़ेगा साथ में कच्चे तेल की कीमतों में भी कमी आ सकती है।
Published on:
14 Dec 2017 12:01 pm
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