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Aao Ghume UP: पूरी दुनिया में मशहूर है Mathura-Vrindavan, सांस्कृतिक रंग की है धरा

Aao Ghume UP: मथुरा और वृंदावन जुड़वा शहर हैं, जहां श्री कृष्ण का जन्म और लालन पालन हुआ, आज भी उनकी लीला और उनकी जादुई बांसुरी की ध्वनि से गुंजित रहते हैं।

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Aao Ghume UP: उत्तर प्रदेश के हर शहर का एक अपना इतिहास और महत्व है। इन्हीं शहरों में मथुरा और वृंदावन भी शामिल है जो पूरी दुनिया में मशहूर है। मथुरा को मंदिरों की भूमि भी कहा जाता है, आपको शहर के हर नुक्कड़ और चौहारे पर मंदिर ही मंदिर देखने को मिल जाएंगे। हालांकि वृंदावन में भी अनेकों मंदिर है, वैसे तो यहां पूरे साल श्रद्धालु आते हैं लेकिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी के समय यहां भारी भीड़ जुटती है।

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आगरा से करीब एक घंटे की सड़क यात्रा करने के बाद यमुना के किनारे भगवान श्री कृष्ण का जन्म स्थल मथुरा स्थित है। इस पूरे क्षेत्र में भव्य मंदिर निर्मित हैं जो श्री कृष्ण के जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं। मथुरा और वृंदावन जुड़वा शहर हैं, जहां श्री कृष्ण का जन्म और लालन पालन हुआ, आज भी उनकी लीला और उनकी जादुई बांसुरी की ध्वनि से गुंजित रहते हैं।

एक साथ देख सकते हैं वैष्णव और शैव संस्कृति

मथुरा को दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हिंदू धर्म के लिए एक पवित्र शहर माना जाता है। मथुरा और उसके पड़ोसी शहरों में ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के कई स्थान हैं। मथुरा का जुड़वां शहर वृंदावन है। अपनी युवावस्था में कृष्ण के घर के रूप में, छोटे शहर में हिंदू धर्म के विभिन्न संप्रदायों से संबंधित मंदिरों की एक भीड़ है, जो विभिन्न रूपों और रूपों में कृष्ण की घोषणा करते हैं। भगवान कृष्ण जन्मभूमि में न केवल भगवान कृष्ण को बल्कि भगवान शिव को भी समर्पित मंदिर हैं। इस तरह आप यहां वैष्णव और शैव संस्कृति को एक साथ देख सकते हैं।

श्री कृष्ण जन्मस्थान मंदिर का विशेष महत्व

मथुरा में श्री कृष्ण जन्मस्थान मंदिर है जो कि जेल की कोठरी के चारों ओर बनाया गया है, इस मंदिर में माता देवकी और वासुदेव को कंस मामा ने कैद किए थे। हिंदु धर्म में इस मंदिर को भगवान कृष्ण का जन्मस्थान माना जाता है जिसकी वजह से इस मंदिर का विशेष महत्व है। श्रद्धालुओं के लिए इस मंदिर को सुबह 5 बजे से दोपहर के 12 तक है और शाम 4 बजे से रात के 9 बजे तक के लिए खोजा जाता है।

मथुरा की होली का है अपना रंग

मंदिरों के साथ ही मथुरा की होली का भी एक अपना अलग ही रंग है। ज‍िसके रंग में रंगने के ल‍िए लोग व‍िदेश से भी भारत आते हैं। क्‍योंक‍ि होली का संबंध राधा-कृष्‍णजी से है इसल‍िए होली का रंग ब्रजभूम‍ि में अलग ही द‍िखता है। पूरा ब्रज होली से हफ्तों पहले कुछ अलग रंगों से रंगा हुआ नजर आता है। यहां केवल रंग ही नहीं बल्कि लड्डू और लठमार होली भी खेली जाती है।

बहुत ही निराली है वृंदावन की प्राकृतिक छटा

वृंदावन में अनेक ऐतिहासिक धरोहर, आश्रम और गौशालाएं हैं जो इस शहर की खासियत है। वृंदावन यमुना नदी से तीन ओर से घिरा हुआ है और इसकी प्राकृतिक छटा बहुत ही निराली है। वृंदावन को विधवाओं के शहर के रूप में भी जाना जाता है। यहां विधवाओं की बड़ी संख्या है जो अलग-अलग विधवा आश्रमों में रहती हैं। गौड़ीय वैष्णव, वैष्णव और हिंदुओं के धार्मिक क्रिया-कलापों के लिए भी वृंदावन दुनियाभर में मशहूर है। सूरदास, स्वामी हरिदास, चैतन्य महाप्रभु के नाम वृंदावन से जुड़े हैं।

पूरे साल मंदिरों में लगी रहती है श्रद्धालुओं की भीड़

मथुरा-वृंदावन ऐसा शहर है जहां हजारों की संख्या में छोटे-बड़े मंदिर हैं। इन मंदिरों में पूरे साल श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। वृंदावन में बाके बिहारी, प्रेम मंदिर, इस्कॉन मंदिर, श्री राधा रमण मंदिर और गोपेश्वर महादेव मंदिर प्रमुख है। तो वहीं मथुरा में श्री कृष्ण जन्मस्थान मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर, बिड़ला मंदिर, श्री जुगल किशोर जी मंदिर, चामुंडा देवी मंदिर, श्री दाऊजी महाराज मंदिर और केशव देव मंदिर प्रमुख हैं।

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