
atal bihari Vajpayee
मथुरा। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन से मथुरा में शोक की लहर है। सरकारी व गैर सरकारी दफ्तरों में अवकाश है। ध्वज झुका दिए गए हैं। अनेक भाजपाई व हिन्दूवादी नेता अंतिम दर्शन करने दिल्ली रवाना हो गए हैं। उनका शव दीनदयाल मार्ग दिल्ली स्थित भाजपा के नए दफ्तर में रखा गया हैष समूचे देश के साथ फरह के नगला चंद्रभान में शोक की लहर है। इस गांव में जिस झोंपड़ी में दीनदयाल रहते थे, उसे दीनदयाल धाम बनवाने में अटल जी का योगदान रहा। वह दीनदयाल धाम के तीन दशक तक अध्यक्ष व मथुरा के बांके बिहारी माहेश्वरी उपाध्यक्ष रहे थे।
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दीनदयाल स्मारक समिति के संरक्षक थे
भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेयी की तमाम यादें दीनदयालधाम से जुड़ी हैं। उन्होंने वर्ष 1957 में मथुरा से लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन राजा महेन्द्र प्रताप सिंह से चुनाव हार गए थे। वर्तमान में पूर्व प्रधानमंत्री अटल पं. दीनदयाल स्मारक समिति के संरक्षक थे। उनकी प्रेरणा से दीनदयालधाम वटवृक्ष बनकर समूची दुनिया के नक्शे पर उभरकर आया। अटल बिहारी वाजपेयी बगल के गांव परखम में भी आते-जाते थे। वहां कुश्ती भी लड़ी थी। उन्होंने पहलवान को पटखनी देकर संदेश दिया था कि वे पहलवान भी हैं, कोई टकराएगा तो उसकी हड्डियां तोड़ देंगे। उन्हें मथुरा का पेड़ा बेहद पसंद था।
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प्रधानमंत्री बनने के बाद दीनदयालधाम आए थे
पं दीनदयाल के साथ अटलजी नगला चन्द्रभान में ठहरते थे। उनकी मौत से दीनदयालधाम शोक में है। यहां के पदाधिकारी डॉ. रोशनलाल, अशोक टैंटीवाल उनको देखने दिल्ली भी गए थे। अटल जी ने पंडितजी के साथ जनसंघ को मजबूती भी प्रदान की। यह उनकी उपलब्धि अभी भी इतिहासबद्ध है। स्मारक समिति के संग्रहालय की दरो-दीवारों पर लगे पं. दीनदयाल उपाध्याय के साथ उनके तमाम फोटो दीनदयाल नगरी के प्रति उनके अगाध प्रेम को आज भी बयां कर रहे हैं। यह उनका प्रेम ही था, जब वे देश के प्रधानमंत्री बने तो सबसे पहले वे यहां आए थे। स्मारक समिति के निदेशक राजेन्द्र कहते हैं कि अटलजी जैसे देश के नेता का अब अभ्युदय सम्भव नहीं है। उन्होंने दीनदयालधाम के लिए बहुत कुछ किया, जो आज तक किसी ने नहीं किया।
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अटल जी को जब हैजा हुआ था..
मथुरा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी युवावस्था में कई साल मथुरा में रहे थे। बल्देव के गांव पटलौनी में संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता मांगेराम शर्मा से मुलाकात करने को कई बार इस गांव में गए थे। एक बार रास्ते में हथकौली के पास साइकिल पर बैठ कर जा रहे थे, तभी उन्हे हैजा हो गया था। बाद में बल्देव के डाक्टर रमाकांत पांडेय के अपने यहां रखकर इलाज किया था। इमरजेंसी के दौरान प्यारेलाल सौदागर और बांके बिहारी माहेश्वरी समेत कई लोगों के घरों में रहकर कार्य किया।
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Published on:
17 Aug 2018 09:41 am
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