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पत्रिका स्पेशल: जानिए हिंदी फिल्मों की हास्य कलाकार कैसे बनीं उमा देवी से ‘टुनटुन’

गायिका बनने की हसरत रखने वाली उमा देवी कैसे बनीं अभिनेत्री 'टुनटुन'। जानिए उनके जीवन की अनकही बातें।

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Tuntun

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मथुरा। हिंदी फिल्मों में टुनटुन नाम से मशहूर उमा देवी खत्री वैसे तो किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। लेकिन उनके बारे में बहुत कम लोग ये जानते हैं कि उनका जन्म मथुरा के पास एक गांव के पंजाबी परिवार में हुअा था। 11 जुलाई 1923 में जन्मी उमा के माता पिता का निधन काफी कम उम्र में हो गया था, लिहाजा उनका पालन पोषण चाचा ने किया। बचपन से मीठी आवाज की स्वामिनी उमा देवी गायिका बनना चाहती थीं। इसी हसरत के साथ 13 साल की उम्र में वे अकेली ही मथुरा से मुंबई चली गईं। वहां उन्होंने काफी संघर्ष किया। इसी बीच उनकी मुलाकात गोविंदा के माता पिता अरुण आहूजा और निर्मला देवी से हुई। हालांकि अरुण आहूजा ने उन्हें तमाम संगीतकारों से मिलवाया, लेकिन किस्मत ने उन्हें अभिनेत्री टुनटुन के नाम से पहचान दिलवाई।

जब नौशाद के साथ गाने की हसरत पूरी हुई
गाने की शौकीन उमा ने रेडियो सुनकर गुनगुनाना सीखा था। उनकी तमन्ना थी कि वे नौशाद के साथ गाना गाएं। जब उनकी मुलाकात नौशाद से हुई तो उन्होंने उमा से गाना सुनाने के लिए कहा। उमा ने बेताब है दर्द गाना सुनाया। गाना सुनकर नौशाद बोले तुम गाती तो अच्छा हो लेकिन अभी सुर की समझ नहीं है। जब उमा ने काफी जिद की तो नौशाद ने फिल्म दर्द का अफसाना लिख रही हूं, गीत गवाया जो खूब प्रचलित हुआ।

शादी की तो गायिका बनने का सपना टूट गया
अफसाना लिख रही हूं, गीत गाने के दौरान मोहन नाम का एक युवक उमा का दीवाना हो गया। वो उनके लिए सब कुछ छोड़कर मुंबई चला आया। इसी बीच दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा और कुछ दिनों बाद उमा ने मोहन से शादी कर ली। इसके बाद वे अपनी शादीशुदा जिंदगी को संभालने में लग गईं। इस बीच हालात ऐसे हुए कि उन्हें फिल्मों में काम मिलना बंद हो गया। जब आर्थिक तंगी ज्यादा आयी तब वे फिर से नौशाद के पास पहुंचीं। तब नौशाद ने उनसे कहा कि अब तुम्हारा गला किसी काम का नहीं रहा, बेहतर होगा कि तुम एक्टिंग में हाथ आजमाओ।

ऐसे बनीं उमा देवी से 'टुनटुन'
नौशाद ने उमा की मुलाकात दिलीप कुमार से करवाई। तब दिलीप कुमार की बाबुल फिल्म की शूटिंग चल रही थी। उमा को भी दिलीप ने फिल्म में रोल दिलवा दिया। इस फिल्म के बाद लोगों ने उनके मोटापे के चलते उन्हें 'टुनटुन' कहना शुरू कर दिया। उसके बाद से वे टुनटुन नाम से ही मशहूर हो गईं। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उस दौर में जब भी किसी मोटी महिला की बात होती थी तो तुलना टुनटुन से की जाती थी। टुनटुन ने सैकड़ों फिल्मों में काम कर अपने अभिनय से लोगों को खूब हंसाया। 24 नबंम्बर 2003 को टुनटुन दुनिया से विदा हो गयीं।