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डीएम ने जारी किया 1100 तालाबों की खुदाई का फरमान, ग्राम प्रधान हुए परेशान

locationमथुराPublished: Jul 01, 2019 08:42:21 pm

10 जुलाई तक 11 सौ तालाबों की खुदाई का रखा गया लक्ष्य, सभी ग्राम पंचायतों में पोखर- ताबालों पर अतिक्रमण, नहीं मिल रहा पुलिस बल

Gulabpura industrial units in crisis in bhilwara

Gulabpura industrial units in crisis in bhilwara

मथुरा। बरसात के जल के संचय के लिए जनपद में 10 जुलाई तक 1100 तालाबों की खुदाई का लक्ष्य दिया गया है। 550 ग्राम पंचायतों में यह काम होना है। प्रत्येक ग्राम पंचायत में कम से कम दो तालाबों की खुदाई होनी है। जिसमें एक तालाब की खुदाई मनरेगा के तहत मजदूरों से कराई जाएगी तथा दूसरे तालाब की खुदाई जेसीबी से कराये जाने का प्रस्ताव है। यह जिम्मा ग्राम प्रधानों को सौंप दिया गया है। ग्राम प्रधानों का कहना है कि इस मद में कोई पैसा अभी नहीं आया है लेकिन परेशानी बजट को लेकर नहीं है। परेशानी इस बात की है कि तालाबों पर अतिक्रमण है और कोई भी अतिक्रमण हटाने को तैयार नहीं है। लम्बे समय से अतिक्रमण होने के चलते ग्रामीणों का सहयोग भी नहीं मिल रहा है। ग्राम प्रधानों ने यह भी आरोप लगाया कि जिला प्रशासन का सहयोग अतिक्रमण हटाने के काम में नहीं मिल रहा है।
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ponds
नहीं मिला फोर्स, दरोगा ने कर रखा है कब्जा
बल्देव ब्लाक की ग्राम पंचायत पटलोनी के मजरा नगला मंशा में 10 डेसिमिल की पोखर है। पोखर में पालीथिन और कूडा करकट भरा हुआ है। पोखर पर अवैध कब्जा भी है। बीडीओ बल्देव और पंचायत सेके्रटरी के साथ ग्राम प्रधान ने प्रयास किये लेकिन काम शुरू नहीं हो सका। पटलोनी की दूसरी पोखर पर आगरा में तैनात एक दरोगा ने अवैध कब्जा कर रखा है। दरोगा ने भी अड़ंगा लगा दिया है। ग्राम प्रधान पुलिस फोर्स की मांग कर रहे हैं लेकिन पुलिस फोर्स मिला नहीं। ग्राम प्रधान के साथ पूरे दिन बीडीओ और सचिव इस इंताजर में बैठे रहे कि पुलिस फोर्स आये तो अतिक्रमण हो हटवा कर काम शुरू किया जाए लेकिन शाम तक पुलिस नहीं पहुंची। बीडीओ (खंड विकास अधिकारी) वापस लौट आये। यही स्थिति हर गांव की है।
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जिला प्रशासन ने नहीं जानी हकीकत
जिला प्रशासन ने जनपद में तालाब, कुण्ड और पोखरों की जमीनी हकीकत को समझने का प्रयास नहीं किया। यही वजह है कि 11 सौ तालाबों की खुदाई का आदेश जारी कर दिया। ब्रज को तालाब, कुण्डों के लिए जाना जाता रहा है। कोई ग्राम पंचायत ऐसी नहीं है जिसमें दो चार पोखर नहीं रही हों, लेकिन विगत कुछ सालों में इनमें से अधिकांश का अस्तित्व ही मिट गया। जो अभी अस्तित्व में हैं, उनकी हालत बदतर है। जिला प्रशासन के सामने इन्हें अतिक्रमण मुक्त करना बड़ी चुनौती रहा है।
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एक बरसात आ जाये तो खत्म हो जाए झंझट
एक बरसात आ जाये तो अतिक्रमण, खुदाई और बजट का झंझट ही खत्म हो जाए। शायद जिला प्रशासन इस बात से अवगत था कि यह काम इतना आसान नहीं है इस लिए आंकडों से ही काम चलाने की मंशा से इस काम के लिए ऐसा समय चुना, जिसमें किसी भी दिन बरसात आ सकती है और एक जोरदार बरसात के बाद ही यह पूरा झंझट ही खत्म हो जाएगा। जो भी तालाब हैं, उनमें पानी भर जाएगा, खुदाई का रास्ता बंद हो जाएगा और अधिकारी मनचाही रिपोर्ट तैयार कर अपना काम पूरा कर लेंगे।
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