
मथुरा-वृंदावन में जन्माष्टमी की तैयारियां जोरों पर, जानिए किस मंदिर में कब होगी पूजा
मथुरा। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। जन्माष्टमी इस बार तीन सितम्बर को मनाई जायेगी। जन्माष्टमी से पहले ही भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव को धूमधाम औऱ श्रद्धाभाव से मनाने के लिए मथुरा वृंदावन में तैयारी जोर शोर से चल रही हैं। मंदिरों को भव्य रूप से सजाया जायेगा और मंदिर आने जाने वालों के लिए प्रसाद की भी व्यवस्था रहेगी। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म महूर्त की जानकारी देते हुए जन्मस्थान के पदाधिकारी गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने बताया कि वैष्णव संप्रदाय के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म ब्रह्म महूर्त में होगा और ठीक 12 बजे जन्म लेंगे भगवान श्री कृष्ण। हमने विभिन्न मंदिरों के पुजारियों ने अपने-अपने मंदिर की पूजा और भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारियों के बारे में बात की।
द्वारिकाधीश मंदिर
भगवान द्वारिकाधीश मंदिर के मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी ने मंदिर में होने वाले आयोजनों के बारे में बताते हुए कहा कि भगवान के जन्म से पहले मंदिर प्रांगण को देशी विदेशी फूलों से सजाया जायेगा। जन्माष्टमी वाले दिन सुबह भगवान का पंचामृत होता है और रात 11.45 पर भगवान जन्म लेते हैं और मंदिर को विशेष प्रकार की सजावट से सजाया जायेगा। साथ ही विशेष लाइटिंग भी मंदिर पर लगवाई जायेंगी।
बांके बिहारी मंदिर
ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के सेवायत आशीष गोस्वामी ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म मुहूर्त के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि भगवान के जन्म से पूर्व बधाई गाय जाती हैं और सुबह से ही मंदिर को तरह तरह के रंग बिरंगे फूलों से सजाया जाता है। साथ ही कई प्रकार के गुब्बारे भी मंदिर में लगाए जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का मुहूर्त है मध्य रात्रि है। मध्य रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था और उसी के आधार और प्राचीन परंपरा को जीवित रखते हुए आगे बढ़ा रहे हैं। जन्म के बाद भगवान को दूध दही शहद पंचामृत शिव का अभिषेक कराया जाएगा और भगवान के दर्शन के बाद मंदिर को करीब आधा घंटा तक खोले रखा जाएगा ताकि जन्म के बाद लोग मंदिर में भगवान के दर्शन कर अपने आप को धन्य करें।
प्रेम मंदिर
प्रेम मंदिर के अजय त्रिपाठी से बात की तो उनका कहना है कि भगवान के जन्म से पूर्व बधाई गवई जाती हैं और मंदिर को सजाया जाता है। मंदिर को रात्रि आठ बजे बंद कर दिया जाता है और रात्रि 12 बजे मंदिर को पुनः खोलते हैं। भजन गाये जाते हैं और ठीक 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होता है। पंचामृत से उनका अभिषेक किया जाता है। अभिषेक के बाद भगवान को सुंदर पोशाक धारण कराई जाती है और सभी भक्तों को पंचामृत की प्रसादी भेंट की जाती है।
Updated on:
13 Aug 2018 12:39 pm
Published on:
13 Aug 2018 08:00 am
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