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Krishna Janmashtami 2018 जानिए, कहां तैयार होते हैं लड्डू गोपाल, विदेशों से भी आती है डिमांड

locationमथुराPublished: Sep 01, 2018 02:17:04 pm

भगवान श्री कृष्ण के जन्म (जन्माष्टमी ) की तैयारियों के लिए पोशाक-श्रंगार से लेकर लड्डू गोपाल की मूर्तियों की देश ही नहीं बल्कि विदेशों से डिमांड आ रही है।

Laddu gopal

Krishna Janmashtami 2018 जानिए, कहां तैयार होते हैं लड्डू गोपाल, विदेशों से भी आती है डिमांड

मथुरा। भगवान श्री कृष्ण के जन्म की तैयारियों के लिए पोशाक-श्रंगार से लेकर लड्डू गोपाल की मूर्तियों की देश ही नहीं बल्कि विदेशों से डिमांड आ रही है। मूर्ति कारोबार से जुड़े लोग डिमांड के हिसाब से दिन रात एक कर लड्डू गोपाल की मूर्तियों को आकर्षक रुप देने में जुटे हैं। गौरतलब है कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर ब्रज में तैयार होने वाले लड्डू गोपाल देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी जन्मेंगे। अपने आराध्य के जन्म की तैयारियों को लेकर श्रद्धालु अभी से यहां से लड्डू गोपाल और उनके श्रृंगार का सामान खरीद रहे हैं और विदेशों से कारोबारियों के पास ऑर्डर आ रहे हैं। वहीं लड्डू गोपाल की वृंदावन आने वाले श्रद्धालु जमकर खरीदारी कर रहे हैं और उन्हें सजाने-संवारने में लगे हुए हैं।
जन्माष्टमी आते ही बढ़ जाती है डिमांड
बता दें कि इस अजन्मे का जन्म तीन सितम्बर को होगा। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर ब्रज में तैयार लड्डू गोपाल देश के कोने-कोने में ही नहीं विदेशों में भी जन्मेंगे। बाल गोपाल की मूर्तियों और उनके श्रंगार की खरीददारी के लिए बाजारों में अभी से उमंग दिखाई दे रही है। भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरुप लड्डू गोपाल जी की देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी विशेष मांग है। वैसे तो यहां प्रतिदिन आने वाले श्रद्धालु अपने आराध्य लड्डू गोपाल को अपने साथ ले जाते हैं लेकिन जन्माष्टमी आते ही यह डिमांड और बढ़ जाती है।
जब से होश संभाला है राधा-कृष्ण की मूर्तियां बना रहा हूं

मूर्तियों को फाइनल टच देने वाले एक कारीगर रमेश ने बताया कि होश संभालने के बाद से ही वह इस काम को कर रहा है। उसने बताया कि ब्रज क्षेत्र में अलीगढ़, हाथरस, इगलास और आस-पास के इलाकों में लड्डू गोपाल और राधा-कृष्ण की मूर्तियों की ढलाई होती है। पीतल, जस्ता और एल्युमिनियम की गोपाल जी की मूर्ति वहां ढलाई होने के बाद यहां आती हैं जिसे कारीगर पाॅलिश कर चकमाने के साथ ही उन्हें फानल टच देते हैं। सफाई और पाॅलिश के बाद मूर्तियों पर पेंटिग की जाती है। जिसके बाद मूर्तियां बाजार में दुकानों पर श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। दूसरे कारीगर कल्लू खां बताते हैं कि ढलाई के बाद यहां आने वाली मूर्तियों की सफाई करने के बाद उन पर दो बार पाॅलिश की जाती है जिससे मूर्तियों की सुन्दरता और निखरती है। उन्होंने बताया कि मथुरा और वृंदावन में सैकड़ों कारखाने हैं जहां इन मूर्तियों को फाइनल टच दिया जाता है। पोशाक-श्रंगार कारोबारी हेमंत अग्रवाल ने बताया कि कारीगरों द्वारा फाइनल टच के बाद दुकानों पर पहुंची इन मूर्तियों को पोशाक पहनाकर व श्रंगार करके रखा जाता है। मंदिरों के बाहर स्थित दुकानों पर सजे-धजे ठाकुरजी की ये मूर्तियां बरबस ही यहां से गुजरने वाले श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती हैं और श्रद्धालु अपने आराध्य को बड़ी श्रद्धा-भाव से अपने साथ ले जाते हैं। उन्होंने बताया कि मथुरा-वृंदावन में तैयार होने वाले छोटे लड्डू गोपाल की मूर्तियों की डिमांड देश के कोने-कोने से आ रही है वहीं विदेशों से भी लड्डू गोपाल मंगाने की लिए ऑर्डर आ रहे हैं।
कान्हा के श्रंगार में ना रहे कोई कमी

दिल्ली से आई चांदनी नाम की महिला ने बताया कि मैं यहां अपने लड्डू गोपाल को सजाने-संवारने के लिए लेकर आई थी और जन्माष्टमी आने वाली है तो उनको सजाना संवारना भी जरूरी है। जन्माष्टमी के दिन हम लड्डू गोपाल को पहले पंचामृत से अभिषेक करेंगे उसके बाद नए-नए पोशाक धारण करेंगे उसके बाद लड्डू गोपाल का जन्म होगा। जन्माष्टमी आने से पहले हम लोग कान्हा को सजाने-संवारने में लगे हुए हैं ताकि उनके श्रंगार में कोई कमी न रहे।

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