श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मुख्य द्वार पर सुबह से ही आस्था का विशाल सैलाब उमड़ा हुआ दिखाई दिया। नंद के लाल और ब्रजवासियों के प्राणप्रिय भगवान कृष्ण की जन्म की खुशी यहां सहज ही देखी जा सकती है। 2 सितंबर की सुबह कृष्ण जन्मभूमि पर बड़ी संख्या में भक्त उमड़े। कान्हा की एक झलक पाने के लिए भक्तों में बेताबी नजर आ रही थी, तो वहीं राधा कृष्णा के जयकारों से जन्मभूमि गुंजायमन हो रही है। भक्त बस इंतजार कर रहे हैं, भगवान कृष्ण के जन्म का और बाल गोपाल को निहारने का। लाखों भक्त में कान्हा जी के जन्म के बाद उस मोहक तस्वीर को अपनी आंखों में बसाने का अलग सा ही उत्साह नजर आ रहा है।
जन्मस्थान का अलग ही रहता है नजारा
श्री कृष्ण की जन्म भूमि पर वैसे तो वर्षभर पूजा आैर आनंद का माहौल रहता है, लेकिन जन्माष्टमी आने के कर्इ दिन पहले ही यहां का वातावरण पूरी तरह कृष्णमय हो जाता है। जन्माष्टमी पर शहर के सभी मंदिरों को सजाया जाता है। इसमें मुख्य आर्कषण कृष्ण जन्मभूमि मंदिर ही होता है, जो रात के समय रोशनी से नहा उठता है। इस दिन मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जाता है। इस पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियों का श्रंगार किया जाता है आैर उन्हे नए वस्त्र और गहने पहनाएं जाते हैं।