
मथुरा। जिला महिला अस्पताल में तैनात महिला संविदाकर्मी ने अस्पताल प्रशासन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। महिला कर्मी का कहना है कि अस्पताल में बिना लेन-देन के मरीजों की भी कोई सुनने वाला नहीं है। गांव से इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों को यहां बिना पैसे दिए इलाज भी नहीं मिलता। अस्पताल प्रशासन द्वारा संविदाकर्मियों का भी उत्पीड़न किया जाता है। वहीं महिला कर्मी के आरोपों को अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने सिरे से खारिज किया है।
हर काम के मांगे जाते हैं पैसे
जिला महिला अस्पताल में तैनात संविदाकर्मी सविता शर्मा कम्प्यूटर ऑपरेटर के पद पर कार्यरत हैं। गुरुवार को सविता ने अपने अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए अस्पताल की व्यवस्थाओं की पोल खोल कर रख दी। सविता का कहना था कि अपनी सैलरी के लिए भी अधिकारियों को 20-30 प्रतिशत कमीशन देना पड़ता है। उसने इसके खिलाफ आवाज उठाई तो तीन माह से उसे वेतन नहीं दिया गया है। सविता का कहना है कि जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं बदतर हैं। मरीज यहां आने के बाद दर-दर भटकने को मजबूर होता है। हर काम के पैसे मांगे जाते हैं।
मानदेय के लिए कमीशन की मांग
सविता ने आरोप लगाते हुए कहा कि सीएमएस ने अपने चहेते जूनियर डॉक्टर किशोर माथुर को एनएचएम का प्रभारी बनाया हुआ है। इसके साथ और प्रमुख कार्य भी उन्हें ही सौंप रखे हैं, जबकि इसका चार्ज किसी सीनियर को देना होता है। सविता ने आरोप लगाया कि मानदेय के लिए 30 प्रतिशत कमीशन मांगा जाती है। एनएचएम के अन्य स्टॉफ से भी पैसे वसूले जाते हैं। विरोध करने पर मानदेय रोक दिया जाता है। सीएमएस से शिकायत करने पर भी कोई सुनवाई नहीं होती।
नौकरी के डर से नहीं उठती आवाज
सविता का कहना है कि कोई कर्मचारी आवाज नहीं उठाना चाहता, क्योंकि चार-पांच लाख देकर ही संविदा पर नौकरी मिलती है। कहीं वो नौकरी भी ना चली जाए। सविता ने कहा कि शासन से धनराशि आती है, लेकिन भ्रष्टाचार के कारण निचले स्तर पर बंदरबाट किया जाता है। कम्प्यूटर पर उससे फर्जी डाटा अपलोड करने के लिए कहा जाता है। उधर, इस मामले पर अस्पताल के सीएमएस डॉक्टर बी. लाल का कहना है कि महिला संविदाकर्मी का निजी मामला है। उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोपों को भी सिरे से खारिज कर दिया।
Published on:
06 Apr 2018 03:08 pm
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