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मनाया गया मानव एकता दिवस, इन शिक्षाओं को किया याद

मानव एकता निरंकारी मिशन की पहचान-हरविन्द्र

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Manav ekta diwas

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मथुरा। निरंकारी मिशन की स्थानीय शाखा ने देशव्यापी ‘‘मानव एकता दिवस‘‘ पर युगप्रर्वतक बाबा गुरबचन सिंह का भावपूर्ण स्मरण किया। निरंकारी भक्तों ने हाइवे नवादा स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन में ‘‘मानव एकता दिवस‘‘ पर आयोजित सत्संग सभा में बाबा गुरबचन सिंह जी को समस्त मानव जाति का हितेषी बताकर उनके द्वारा किए गए उपकारों का शुकराना व्यक्त किया। इस अवसर पर निरंकारी संत हरविन्द्र कुमार ने कहा कि मानव एकता ही निरंकारी मिशन की पहचान है। संत निरंकारी मिशन का ध्येय ही ब्रह्मज्ञान द्वारा मानव एकता को स्थापित करना है।

वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना
उन्होंने कहा कि ब्रह्मज्ञान के बाद वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को अपनाने से ही मानव एकता स्थापित की जा सकती है। बाबा गुरबचन ने मानव मात्र को एकता का पाठ ही नहीं पढ़ाया, बल्कि मानव एकता का अनुपम उदाहरण भी प्रस्तुत किया , जिसकी तस्वीर आज संत निरंकारी मिशन में देखी जा सकती है। उन्होंने कहा कि बाबा गुरबचन परोपकारी, दूरदृष्टि और अत्यन्त उदार हृदय वाले थे। उनके मन में सम्पूर्ण विश्व के कल्याण का भाव था, तभी तो सभी धर्मों के प्रति वे समभाव रखते थे, उन्होंने आजीवन सबको एक स्थान पर बैठाकर, एक प्रभु की भक्ति करने की प्रेरणा दी।

सुनाए गए प्रेरक प्रसंग
इस अवसर पर मोहनसिंह, लक्ष्मी, मनीषा, भरत कुमार, अशोक दयालु, किशोर ‘‘स्वर्ण‘‘ आदि वक्ताओं ने बाबा गुरबचन सिंह एवं महान सेवादार चाचा प्रताप सिंह सहित सभी बलिदानी संत-भक्तों को याद कर भावपूर्ण श्रद्धा सुमन अर्पित किए और उनके जीवन से जुड़े प्रेरक प्रसंग सुनाए। संचालन भगत कैलाशचंद्र ने किया। इस मौके पर बाबा गुरबचन सिंह जी के संदेश को देते हुए निरंकारी भक्तों ने मानव श्रृंखला बनाई। युवा प्रचारक किशोर ‘‘स्वर्ण ‘‘ ने बताया कि बाबा गुरबचन सिंह जी ने भारत की प्राचीन धरोहर ‘‘आध्यात्मिक ज्ञान‘‘ को विश्व के अनेक देशों में प्रसारित कर देश का गौरव बढ़ाया, वहीं 17 वर्ष तक ‘‘सत्गुरू‘‘ रूप में निरंकारी मिशन का मार्गदर्शन कर ‘‘ब्रह्मज्ञान‘‘ की सौगात द्वारा परमात्मा के साक्षात्कार कराये और शराब बन्दी कर , दहेज की नुमाइश से परे सादा विवाह के सफल आयोजन कराए।

किए अपने प्राण न्यौछावर
उन्होंने बताया कि बाबा गुरबचन जी ने 24 अप्रैल 1980 को धर्म विरोधी लोगों की गोलियों को अपने सीने पर झेलकर मानव रक्षा हेतु अपने प्राण न्यौछावर कर दिये, तदोपरांत बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने 36 वर्षो तक निरंतर विश्वभर में मानव एकता के लिए अपना जीवन समर्पित किया और आज सत्गुरू माता सविन्दर हरदेव जी महाराज सत्य ज्ञान, प्रेम, भाईचारे और एकत्व की भावना को मजबूती प्रदान कर रहे हैं।