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कान्हा की नगरी में जल्द मिलेगा उत्पाती बंदरों से छुटकारा, 25 एकड़ जमीन पर बनने जा रहा ‘Monkey Rescue Center’

उत्पाती बंदरों को पहले चंबल के बीहड़ में छोड़ा जाएगा। साथ ही मंकी रेस्क्यू सेंटर खोला जाएगा।

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Monkey

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मथुरा। मथुरा और वृंदावन में बंदरों की समस्या लंबे समय से शहरवासियों से लेकर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बड़ी मुसीबत बनी हुई है। बंदरों से बचने के लिए लोगों ने घरों को जाल से पूरा कवर कर रखा है। कुछ इलाके तो ऐसे हैं जहां हर समय बंदरों का जमावड़ा रहता है। ये उत्पाती बंदर कान्हा की नगरी आने वाले श्रद्धालुओं को भी आए दिन परेशान करते हैं। किसी का चश्मा छीन लेते हैं, किसी की माला, किसी का प्रसाद। कई बार तो बंदर आक्रामक होकर श्रद्धालुओं पर हमला भी कर देते हैं। लेकिन अब लोगों को जल्द ही बंदरों के आतंक से छुटकारा मिलने वाला है।

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इन उत्पाती बंदरों को पहले चंबल के बीहड़ में छोड़ा जाएगा। साथ ही मंकी रेस्क्यू सेंटर खोला जाएगा। ये बातें सोमवार को वेटरनेरी विश्वविद्यालय में उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद, नगर निगम, वन विभाग, प्रशासन व वेटरनेरी के विशेषज्ञों के सेमिनार में कही गईं। इस सेमिनार में स्थानीय नागरिक व पार्षदों ने भी हिस्सा लिया था। इस दौरान नगर आयुक्त रविंद्र कुमार मांदड़ ने बंदरों को चंबल छोड़ने की अनुमति पर मुहर लगा दी। साथ ही बताया कि पहले दौर में दो हजार बंदरों को चंबल के बीहड़ में छोड़ा जाएगा।

डीएम सर्वज्ञराम मिश्र ने चौमुहां क्षेत्र में मंकी रेस्क्यू सेंटर के लिए 25 एकड़ जमीन वन विभाग को उपलब्ध कराने की बात कही। इस बीच डीएम ने कहा कि सबसे पहले इन बंदरों को पकड़ा जाए और जो बंदर बीमार पाए जाते हैं, उनको रेस्क्यू सेंटर में रखकर इलाज किया जाए। इसके बाद इन्हें सुरक्षित जंगल में छोड़ा जाए। उन्होंने डीएफओ से कहा दिसम्बर तक ही पूरी योजना को तैयार करके भारत सरकार को भेज दें और प्रयत्न करें कि दिसम्बर तक अनुमति भी प्राप्त हो जाए।

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वहीं इस दौरान डीएफओ मथुरा मुकेश शर्मा ने बताया कि 2019 की वन जंतु गणना की रिपोर्ट के अनुसार वृंदावन, गोवर्धन, बरसाना, नंदगांव, गोकुल आदि क्षेत्रों में कुल 21,707 बंदर हैं। ये बन्दर यात्रियों से खाद्य सामिग्री छीन लेते हैं तथा उनको परेशान करते हैं। हालांकि सेमिनार में मौजूद अन्य स्थानीय लोगों ने इस पर सवाल खड़े किए। उनका मानना है कि पूरे जनपद में 50 हजार से अधिक बंदर हैं।