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यहां सात शनिवार विधिवत पूजा करने से मिलती है शनि की साढ़े साती से मुक्ति

मथुरा जिले के कोकिलावन धाम स्थित शनि मंदिर पर सात शनिवार पूजा करने से शनि की साढ़े साती दिशा दृष्टि से राहत मिलती है।

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shani temple mathura

Shani temple

मथुरा। नवग्रहों में से एक हैं शनिदेव। उन्हें कर्मफलदाता के रूप में जाना जाता है। अच्छे कर्म करने वालों को वे पुरस्कृत करते हैं तो बुरे कर्म करने वालों को दंडित करते हैं। शनिदेव भगवान कृष्ण के परम भक्त हैं। मथुरा स्थित शनिदेव के मंदिर कोकिलावन धाम को लेकर मान्यता है कि शनि मंदिर पर सात शनिवार विधि विधान से पूजा करने से शनि की साढ़े साती दिशा दृष्टि मुक्ति मिल जाती है।

ये है मान्यता
मथुरा जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर उत्तर पश्चिम में कोसीकलां नन्द गांव रोड पर जंगल के बीच मे स्थित है- कोकिलावन धाम। ब्रजमण्डल को जहां भगवान श्री राधा कृष्ण की पावन रास लीलाभूमि के रूप मे जाना जाता है, वहीं इस स्थान पर शनि धाम के इस तीर्थ स्थल की ख्याति है। रोजाना यहां पर श्रद्धालु दर्शन करने के लिये आते हैं। लेकिन शनिवार के दिन तो यहां काफी भीड़ होती है। हजारों की संख्या में भक्तगण यहां आते हैं और कोकिलावन की सवा कोसीय परिक्रमा करते हैं। फिर सूर्य कुण्ड में स्नान कर शनिदेव की प्रतिमा पर तेल चढाकर पूजा-अर्चना कर पुण्य प्राप्त करते हैं।

इस तीर्थ की महिमा को लेकर धार्मिक ग्रन्थ और पुराणों मे आये वर्णन के अनुसार सृष्टि की रचना के साथ ही जगत पिता ब्रह्मा जी ने सभी देवी देवीताओं को अलग अलग दायित्व भी सौंपे थे। सूर्य के पुत्र और यमराज व यमुना नदी के भाई शनि को ब्रह्मा जी ने दण्डाधिकारी बनाया। तभी से सम्पूर्ण सृष्टि मे हर जीव शनिदेव से भयभीत रहने लगा। गर्ग संहिता नामक पौराणिक ग्रन्थ के अनुसार शनिदेव भगवान कृष्ण के परम भक्त हैं। कृष्ण भगवान ने जब ब्रज में अवतार लिया तो देव लोक से सभी देवी-देवता अखण्ड ब्रह्मांड के नायक पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप के दर्शन करने के लिये ब्रजभूमि में आये थे। शनि महाराज भी नन्द गांव में अपने आराध्य के दर्शन करने पहुंचे। यहां आकर शनिदेव ने श्रीकृष्ण का महारास देखने की इच्छा प्रकट की। भगवान ने उनको अनुमति दे दी और नन्दगांव से तीन किलोमीटर दूर स्थित इसी कोकिलावन में जब वसन्त पंचमी को महारास हुआ तो शनिदेव ने महारास के दर्शन किये। तभी से ये स्थान महारास स्थली के साथ साथ शनिधाम के रूप में प्रसिद्ध हो गया।

मान्यता है कि जिस व्यक्ति पर शनि की साढ़े साती दिशा चल रही हो, वह इस शनि मंदिर में लगातार सात शनिवार आकर शनि पर तेल चढ़ाये और विधि विधान से पूजा अर्चना करे तो शनि देव का प्रकोप उनपर से हट जाता है और उस व्यक्ति का सुखमय जीवन शुरू हो जाता है। देश विदेश से हर शनिवार को हजारों लोग कोकिलावन आते हैं।