श्रीकृष्‍ण जन्मभूम‌ि सर्वे में बहुत सारे साक्ष्य सामने आएंगे, जो यह साबित करने के लिए पर्याप्त होंगे कि यह जमीन श्रीकृष्ण की जन्मस्थली है।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद पर फैसले को लेकर तेजी आई है। पहले जन्मभूमि का सर्वे होगा या फिर इसे रोककर पोषणीयता के दावे पर कार्यवाई आगे बढ़ेगी। इस पर 16 फरवरी को फैसला हो जाएगा। दोनों पक्ष अपनी बात कोर्ट में रख चुके हैं।
पांच घंटे तक रिवीजन के दावे पर कोर्ट में बहस
श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाही विवाद मामले में पक्षकार के वकील महेंद्र प्रताप सिंह के रिवीजन दावे पर सुनावाई पूरी हो चुकी है। प्रतिवादी पक्ष भी अपनी बात रख चुका है। लेकिन अदालत ने अपना रुख साफ नहीं किया है कि पहले किस पर सुनवाई होगा। इस मुद्दे पर अपर सेशन जज- 6 अभिषेक पांडेय की अदालत में तीन तारीखों पर बहस हुई है।करीब पांच घंटे तक रिवीजन के दावे पर बहस में कोर्ट ने दोनों पक्षों के तर्क को दर्ज किया है।
विवादित स्थान के सर्वे पर सुनवाई वादी की प्राथमिकता
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष ने पोषणीयता पर पहले सुनवाई के आदेश के खिलाफ जिला जज की अदालत में रिवीजन दायर किया था। जिला जज ने रिवीजन दावे को मानते हुए सुनवाई के लिए एडीजे -6 अभिषेक पांडे की अदालत में ट्रांसफर किया था। वादी ने विवादित स्थान की सर्वे पर प्राथमिकता से सुनवाई की मांग रखी है। जबकि प्रतिवादी पक्ष शाही ईदगाह कमेटी और सुन्नी सेंट्रल वफ बोर्ड पोषणीयता पर पहले सुनवाई की मांग कर रहे हैं।
क्या है पक्ष के तर्क
वादी पक्ष के अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह के मुताबिक, ज्ञानवापी की तरह यहां पर भी हिंदू स्थापत्य कला के सबूत मिलेंगे। खुदाई में बहुत सारे साक्ष्य सामने आएंगे, जो यह साबित करने के लिए पर्याप्त होंगे कि यह जमीन उनके आराध्य भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली है और श्रीकृष्ण मंदिर का गर्भ गृह है। मुस्लिम पक्ष इस लिए मामले को भटकाने की कोशिश कर रहा है कि सबूत सबके सामने ना आन पाए। इसके लिए मुस्लिम पक्ष 7 रूल 11 की आड़ ले रहा है।