STF की जवाबी फायरिंग में पंकज ढेर, साथी फरार
STF ने घेराबंदी की तो वह फायरिंग शुरू कर दिया, एसटीएफ ने भी जवाबी फायरिंग की। इसमें पकंज को तीन गोलियां लगीं। एक गोली उसके पैर में, दूसरी कमर पर और तीसरी गोली सिर पर लगी है। वहीं, उसका साथी अंधेरे का फायदा उठाकर भागने में कामयाब रहा। उसकी गिरफ्तारी के लिए लगातार दबिश दी जा रही है।पंकज को जिला अस्पताल लाया गया। यहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। 34 साल के पंकज के पास से एक पिस्टल, रिवॉल्वर, कारतूस और बाइक बरामद की गई है।पंकज मऊ में ठेकेदार मन्ना सिंह हत्याकांड के मुख्य गवाह और उसके पुलिस सुरक्षाकर्मी की हत्या का मुख्य आरोपी था। उस पर हत्या, लूट, डकैती और रंगदारी समेत 40 से ज्यादा मुकदमे दर्ज थे। हिस्ट्रीशीटर को पकड़ने के लिए पुलिस और एसटीएफ लंबे समय से दबिश दे रही थी।
एक लाख का इनामी पंकज , मुख्तार और शहाबुद्दीन का शूटर रहा
STF के मुताबिक, पंकज मुख्तार अंसारी और बिहार के माफिया शहाबुद्दीन और अन्य गिरोहों के लिए भाड़े पर हत्या करने वाला कॉन्ट्रैक्ट किलर था। वह मऊ जिले के थाना रानीपुर के गांव तहिरापुर का रहने वाला था। पंकज पर यूपी पुलिस ने एक लाख का इनाम घोषित था।
ठेकदार और पुलिसकर्मी की गोली मारकर किया था हत्या
29 अगस्त 2009 को मऊ की शहर कोतवाली इलाके में बदमाशों ने ठेकेदार अजय प्रकाश सिंह उर्फ मन्ना सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी थी। ठेकेदार मन्ना सिंह हत्या कांड में 16 गवाह थे। इस हत्याकांड के गवाहों की एक-एक कर हत्या की जा रही थी। उनकी जान के खतरे को देखते हुए पुलिसकर्मी दिए गए थे।19 मार्च 2010 को मन्ना सिंह हत्याकांड में गवाह राम सिंह मौर्य और सुरक्षाकर्मी सतीश सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। आरोप मुख्तार अंसारी गैंग पर लगे थे। इस केस में पंकज यादव आरोपी था। घटना के बाद से वह फरार था।पूरे प्रकरण में पुलिस ने उस वक्त सदर विधायक रहे मुख्तार अंसारी सहित 11 के चार्जशीट दाखिल की थी। हालांकि, बाद में मुख्तार अंसारी को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त करार दिया था।