
Tour Guide चार युगों के रहस्य को संजोए हुए है मधुवन का कृष्ण कुंड
मथुरा। चार युगों से तीर्थ माने जाने वाला मधुवन अपने अंदर इतिहास को समेटे हुए है। कृष्ण कुंड नाम से जाना जाने वाला यह कुंड आज भी भगवान कृष्ण और उनके सखाओं की याद को ताजा कर देता है। पत्रिका के विशेष कार्यक्रम tour guide के जरिए आज हम आपको कृष्ण कुंड के बारे में बताएंगे और यह कुंड अपने आप में रहस्यों को संजोए हुए है। देखिए निर्मल राजपूत की खास रिपोर्ट।
चार युगों से जुड़ा है रहस्य
पत्रिका के विशेष कार्यक्रम Tour Guide में आज हम आपको लेकर चलेंगे महोली गाँव। यह स्थान ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा का पहला पड़ाव स्थल माना जाता है और यहीं से ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा की शुरुआत होती है। भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज के साथ-साथ इस गाँव में भी अपनी लीलाओं को किया। आइए जानते हैं महोली गाँव स्थित कृष्ण कुंड की महिमा के बारे में। कुंड की महिमा बताते हुए मथुरादास गौतम ने बताया चार युगों के तीर्थ मधुवन को माना गया है। सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग उन्होंने कहा कि सतयुग में इस कुंड की महिमा भगवान नारायण से जुड़ी हुई है मधु नाम का एक दैत्य था उस दैत्य को भगवान नारायण ने मारा। उस राक्षस को मारने के बाद स्नान करने की भगवान नारायण की इच्छा हुई उन्होंने अंतरिक्ष से इस कुंड को प्रकट किया और भगवान नारायण ने इस कुंड में स्नान किया।
इन नामों से जाना जाता है ये कुंड
उन्होंने कहा कि भगवान नारायण ने अपने शरीर की शुद्धि की। सतयुग के बाद त्रेता युग आया। मधु नाम के दैत्य का बेटा था लवणासुर भगवान राम के चौथे भाई शत्रुघ्न ने उसका वध किया। शत्रुघ्न ने ब्रज में राज किया है उन्होंने इस कुंड का ध्यान किया तो अंतरिक्ष से इस कुंड को पुनः प्रकट किया। सतयुग में इस कुंड का नाम मधुसूदन कुंड था, त्रेता युग में इस कुंड का नाम शत्रुघ्न कुंड हुआ करता था। द्वापर युग आया भगवान श्री कृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम ने गौ चारण लीला की। दोनों भाइयों के साथ साथ ग्वाल बाल और गायों को प्यास लगी बंसी के प्रभाव से इस कुंड का निर्माण भगवान कृष्ण ने किया। द्वापर युग में कृष्ण कुंड के नाम से भी जाना जाता था और कलयुग में भी कृष्ण कुंड के नाम से इस कुंड को जाना जा रहा है।
चार युगों का तीर्थ महोली गांव
पंडित मथुरा दास गौतम ने बताया कि गोकुल, महावन, गोवर्धन और आसपास के ब्रज क्षेत्र का तीर्थ इस महोली गांव के कुंड को माना जाता है। आप कहीं भी जाएं दर्शन के लिए आपको द्वापर युग की ही लीला देखने को मिलेगी लेकिन भगवान श्री कृष्ण ने गांव महोली में चार युगों की लीला इस कुंड में देखने को मिलेगी। चार युगों के तीर्थ से इसकी प्रसिद्धि है।
चार रंग का होता है कुंड का पानी
कृष्ण कुंड के एक और रहस्य के बारे में उन्होंने बताया कि चार युगों से यह कुंड जुड़ा हुआ है। कुंड का जल है चार रंग का रहता है। कभी श्याम रूप, कभी श्वेत रूप तो कभी पीत रूप भगवान के जो अवतार हुए हैं उसीके आधार पर इस कुंड के जल का परिवर्तन होता रहता है।
ऐसे पहुंचा जा सकता है महोली गांव
अगर आप इस कुंड की मान्यता के बारे में जानना चाहते हैं और इस कुंड के दर्शन करना चाहते हैं तो आप महोली गांव के लिए इस तरह पहुंच सकते हैं। अगर आप ट्रेन से मथुरा आ रहे हैं तो पहले आपको मथुरा जंक्शन उतरना होगा वहां से ऑटो या टैक्सी किराए पर लेकर गांव महोली मधुवन के लिए आपको नए बस स्टैंड होते हुए महोली रोड से निकलकर जय गुरुदेव मंदिर पहुंचेंगे। यहां पहुंचने के बाद लेफ्ट हैंड साइड से महुली मधुवन के लिए रास्ता गया है। वहां आप टैक्सी या ऑटो से भी पहुंच सकते हैं। अगर बस से आप आ रहे हैं तो टैक्सी या ऑटो आपको उसी तरह से कृष्ण कुंड पहुंचा देगा। आप अपने निजी वाहन से आना चाहते हैं और दिल्ली की तरफ से अगर आ रहे हैं तो आपको पहले नेशनल हाईवे होते हुए मथुरा आना पड़ेगा। यहां से जयगुरुदेव मंदिर के लेफ्ट हैंड साइड होते हुए आप मधुवन यानी महोली गांव पहुंच जाएंगे।
Published on:
13 Dec 2019 09:10 am
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