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Vrindavan Raj: वृंदावन की मिट्टी का ‘सौदा’, हजारों रुपए में ऑनलाइन हो रही बिक्री, भड़के साधु-संत

Vrindavan Raj: श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा-वृंदावन की मिट्टी अब ऑनलाइन बेची जा रही है। इस पर ब्रज के साधु-संतों ने आक्रोश जताया है।

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Vrindavan Raj

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Vrindavan Raj: मथुरा जिले के वृंदावन का धूल अब ऑनलाइन बेचा जा रहा है। अमेजन समेत कई प्रमुख ऑनलाइन स्टोर्स पर वृंदावन की रज 1200 से 3500 रुपए प्रति किलो बेची जा रही है। वृंदावन में छोटे-बड़े 800 से ज्यादा कारखाने कान्हा से जुड़ी वस्तुओं का निर्माण करते हैं। इस कड़ी में अब धूल की भी बेची जा रही है। अमेजन पर श्री हित राधा इंटरप्राइजेज द्वारा 220 रुपए में वृंदावन रज के दो पैकेट बेचे जा रहे हैं। पैकेट का वजन 100 ग्राम प्रदर्शित किया गया है।

अमेजन पर ही Vrindavanstore.in नामक स्टोर द्वारा 360 रुपए का 100 ग्राम का पैकेट बेचा जा रहा है। कंपनी ने इसके लिए EMI का भी ऑप्शन दिया है। shrikrishnastore.com पर 121 रुपए में 100 ग्राम वृंदावन रज बेची जा रही है। रज के बारे में उल्लेख करते हुए ऑनलाइन साइट पर लिखा गया है कि इसे हर रोज तिलक लगाने के काम में लिया जा सकता है। 

HT मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ठाकुर श्री राधावल्लभ मंदिर के सेवायत आचार्य मुकेश बल्लभ गोस्वामी ने बताया कि ब्रज की रज, यमुना जल और गिरिराज जी की शिला को ब्रज से बाहर नहीं ले जा सकते हैं। यह तीनों ही ठाकुरजी के वांग्यमय स्वरूप हैं। ब्रज में रहकर ही इनका आनंद लिया जा सकता है। इनकी बिक्री करने वालों को प्रकृति के दंड का भागीदार बनना पड़ता है।

ऑनलाइन गिरिराज शिला बेचने का हो चुका है विरोध

2021 में गिरिराज जी की शिला ऑनलाइन बेचे जाने पर संतों में आक्रोश फैल गया था। थाना गोवर्धन पर प्रदर्शन करते हुए एफआईआर दर्ज कराई गई थी। ऑनलाइन कंपनी इंडिया मार्ट पर लक्ष्मी डिवाइन आर्टिकल स्टोर द्वारा 5175 रुपए में शिला बेची जा रही थी। विरोध और मुकदमा दर्ज हो जाने के बाद कंपनी ने यह विज्ञापन हटा लिया था। नाम जप का आह्वान करने वाले संत प्रेमानन्द महाराज ने भी गिरिराज शिला को ब्रज से बाहर ले जाने पर अनिष्ट होने की चेतावनी दी थी।

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ब्रज की रज की बिक्री का कार्य निन्दनीय, आक्रोश

11 जून को ब्राह्मण महासभा ने इस प्रकार की गतिविधि को ब्रज संस्कृति विरोधी बताते हुए कंपनी के विरुद्ध शिकायत दर्ज कर कार्रवाई करने की मांग की है। HT मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, संस्थापक सुरेश चंद्र शर्मा ने कहा कि ब्रज भगवान श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय है। यहां की रज में उन्होंने अपनी बाल लीलाओं को संपादित किया है। इस रज के तिलक को भक्ति के आचार्यों ने अपने मस्तक पर धारण किया है। ब्रज की रज की बिक्री का कार्य निन्दनीय है।अध्यक्ष महेश भारद्वाज ने कहा कि ब्रजवासियों द्वारा इस प्रकार के कार्य को स्वीकार नहीं किया जाएगा।