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सरकारों ने नहीं सुनी तो UP में ग्रामीणों ने खुद ही बना डाला तमसा नदी पर 25 मीटर लम्बा पुल

70 साल से सरकारों और जनप्रतिनिधियों ने किया नजर अंदाज तो ग्रामीणों ने अपने दम पर बना लिया पुल।

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Mau, Bridge

मऊ पुल

मऊ. कहते हैं कि मजबूत हौसला हो और समाज के लिये कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो बड़ी से बड़ी रुकावट दूर की जा सकती है। मऊ जिले के मोहम्मदाबद अन्तर्गत बंदीघाट समेत दर्जनों गांव के लोगों ने इसे साबित किया है। सरकारों की 70 साल की अनदेखी के बाद अपने दम पर तमसा नदी पर 25 मीटर लम्बा लकड़ी का अस्थायी लेकिन मजबूत पुल बनाकर तैयार कर दिया। जिससे अब एक घंटे की दूरी 10 मिनट में तय की जा सकती है। पुल को बनाने में तीन लाख रुपये का खर्च आया, जिसे गांव के लोगों ने खुद ही मिलकर वहन कर लिया।

मोहम्मदाबाद तहसील मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर तमसा नदी के उस पार दर्जनों गांव हैं, जहां से रोजाना बड़ी तादाद में लोग नदी पार कर किसी काम से या बाजार करने मुख्यालय जाते हैं। क्षेत्र का एकमात्र एएचएनवी कॉलेज भी इसी पार सरैयां गांव में है सो उस पार के सैकड़ों छात्रों को रोज जान जोखिम में डालकर नदी पारकर आना पड़ता था। नदी की ओर से जिला मुख्यालय की दूरी महज चार किलोमीटर ही है, लेकिन पुल न होने से लोगों को मोहम्मदाबाद बाजार में बने पुल के का सहारा लेना पड़ता था। ऐसे में चार किलोमीटर की दूरी बढ़कर 45 किलोमीटर हो जाती थी और घंटे भर का समय लगता था।

आजादी के बाद से यहां पुल की मांग की लगातार की जाती रही, पर सरकारों ने नहीं सुनी। चुनाव में नेता खूब आए और वादे भी किये, लेकिन जीतने के बाद नजर अंदाजा कर गए। लोगों के लिये यह सपना ही रहा कि कब बाइक या साइकिल पर बैठें और सीधे तहसील, बाजार या स्कूल पहुंच जाएं। जब उनकी नहीं सुनी गयी तो गांव के लोगों ने खुद पुल बनाने की ठान ली।

एएचएनवी कॉलेज के शिक्षक अम्मान, हीरा नदीम और वीरेन्द्र पुल बनाने क लिये आगे आए तो पूरा इलाका इनके साथ खड़ा हो गया। देखते ही देखते लकड़ी का एक मजबूत अस्थायी पुल बनाने का काम शुरू हुआ। किसी ने लेाहे का एंगल दिया तो कोई बांस लेकर आया और किसी ने पैसे से मदद की। गांवों के बढ़ई और फर्नीचर मिस्त्री अपना काम छोड़कर पुल बनाने में जुट गए। तीन महीने तक कम चला और तीन लाख रुपये में लकड़ी का पुल तैयार हो गया। काफी समय पहले भी एक बार लकड़ी के खंभे पर अस्थायी पुल बनाने की कोशिश हुई थी पर वह टूट गया। इससे सबक लेते हुए इस बार नदी की धारा में सीवर लाइन में इस्तेमाल होने वाले बड़े-बड़े गोल पाइप डाले गए। उन्हें फिक्स कर लोहे के मजबूत एंगल व बांस की मदद से पुल बनाया गया।