मेरठ। 10 मई 1857 देश का पहला स्वतंत्रता संग्राम शुरू हुआ था। यह भारत में महाभारत के बाद लड़ा गया सबसे बडा युद्ध था। इस संग्राम की मूल प्रेरणा स्वधर्म की रक्षा के लिये स्वराज की स्थापना करना था।
मेरठ के सदर बाजार से भड़की एक छोटी सी चिंगारी ने पूरे देश में एेसी आग लगार्इ कि देश ही नहीं बल्कि विश्व इतिहास में इसका नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। 10 मई शाम पांच बजे जब गिरिजाघर का घंटा बजा तो लोग घरों से निकलकर सड़कों पर आ गए। सदर क्षेत्र में अंग्रेजी फौज पर लोगों की भीड़ ने हमला बोल दिया। वहां मौजूद सभी अंग्रेजों को घरों से निकालकर मारा। 11 मई की सुबह मेरठ से भारतीय सैनिकों का एक समूह दिल्ली रवाना हुआ आैर 14 मई को दिल्ली में अंग्रेजों को खदेड़ अपना कब्जा स्थापित कर लिया। फिर तो पूरे देश में क्रांति की एेसी लहर दौड़ी कि कौरव आैर पांडवों के बाद जो सबसे बड़ा हुआ, वह 1857 क्रांति का युद्घ ही कहलाया।
…तो ये थी वो छोटी सी चिंगारी
मेरठ छावनी के हिंदू सैनिकों को 23 अप्रैल 1857 में बंदूक में चर्बी लगे कारतूस इस्तेमाल करने को कहा गया। 24 अप्रैल 1857 में सामूहिक परेड में सभी सैनिकों ने कारतूस का इस्तेमाल करने से मना किया। एेसा करने वालों के खिलाफ कार्रवार्इ की गर्इ आैर उनका कोर्ट मार्शल कर दिया गया। छह, सात और आठ मर्इ को कोर्ट मार्शल का ट्रायल हुआ आैर 85 सैनिकों को दस साल की सजा सुनार्इ गर्इ। अंग्रेजों को इस बात का बिल्कुल भी अहसास नहीं था कि मेरठ में उसके सैनिक विद्रोह कर सकते हैं।
व्यापार से राजनैतिक सत्ता हासिल करने तक
1599 ई. में ब्रिटिश व्यापारियों ने भारत व पूर्वी देशों के साथ व्यापार करने के लिये ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की। 1600 ई. में इग्लैंड की रानी एलिजाबेथ प्रथम ने इस कंपनी को भारत में व्यापार करने आैर नौसेना संगठित करने की अनुमति दी। 100 साल तक कंपनी ने यहां सिर्फ व्यापार ही किया। उसने समुद्रीय तटों पर कई व्यापारिक केन्द्र बनाए। उसके बाद कंपनी ने 1615 में जहागीर के दरबार में सर टाॅमस रो को राजदूत के रूप में भेजा। सूरत, मछलीपट्टम, मद्रास, बंबई आैर कलकत्ता में फैक्ट्रियां खोलीं। व्यापार में पांव जमाने के बाद कंपनी ने भारत के राजनैतिक मामलों में भी दखल दिया। कंपनी के कर्मचारियों ने राजनैतिक सत्ता का दुरुपयोग किया। शासन में भ्रष्टाचार लूटपाट शुरू हो गर्इ।
इंग्लैंड के शासक भी हुए नाराज इंग्लैंड के शासक भी कंपनी के इस व्यवहार से नाराज हाे गए। उसके बाद ब्रिटिश संसद ने 1773 में रेग्युलेटिंग एक्ट द्वारा भारत में कंपनी के शासन कार्य को नियंत्रित करना शुरू किया। नयी व्यवस्था के अनुसार कंपनी का शासन ब्रिटिश मंत्रीमण्डल की देखरेख में होने लगा। रेग्युलेटिंग एक्ट के दोष को दूर करने के लिए बंगाल जूडीकेचर एक्ट 1781 में पारित किया गया। इसके द्वारा एक नियंत्रण मंडल की स्थापना की गई। 1793 ,1813,1833 व 1853 के चार्ट्स एक्ट्स ही कंपनी के शासन काल में इंग्लैंड द्वारा पारित अंतिम विधेयक थे। 1856 तक प्राय: सम्पूर्ण भारत में कंपनी का साम्राज्य स्थापित हो गया था।
कुछ महत्तवपूर्ण तथ्य
– लार्ड डलहौजी ने 10 साल के अन्दर भारत की 21 हजार जमीदारियां जब्त की।
– ब्रिटिशर्स ने शिक्षित लाेगों को तैयार कर भारतीय शिक्षा पर द्विसूत्रीय शिक्षा प्रणाली लागू की। ताकि वो अपनी सरकार को आसानी से चला सके।
– ब्रिटिश सरकार ने 1834 में सभी स्कूलों में बाइबिल का अध्ययन अनिवार्य बनाया।
– विश्व में चित्तौड़ ही एकमात्र वह स्थान है, जहां 900 साल तक आजादी की लड़ाई लड़ी गई।
कंटेंट सोर्शः kranti1857.org
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