
Ground Report: आवारा पशुआें से आखिर कब तक फसलों की करें देखभाल, भाजपा सरकार आने के बाद से होने लगी फसल बर्बाद
मेरठ। इन दिनों आवारा पशु भी प्रदेश की राजनीति का केंद्र बिंदु बने हुए हैं। आवारा पशु खेती को तो नुकसान पहुंचा ही रहे हैं, साथ ही शहरों में भी दुर्घटना का बड़ा कारण बन रहे हैं। मेरठ जिले के आसपास के गांवों में हालांकि खेती योग्य जमीन सिमट कर रह गई है, लेकिन जिन किसानों के पास जमीन है, वे भी आवारा जानवरों से परेशान हैं। इसके लिए कई बार प्रशासन और वन विभाग को पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती।
मेरठ जिला मुख्यालय से करीब 10 किमी की दूरी पर गुर्जर बाहुल्य गांव काजीपुर है। जहां के किसान आवारा पशुओं से परेशान है। बुजुर्ग किसान जयवीर बताते हैं कि जब से ये सरकार आई है तब से आवारा पशुओं की बाढ़ सी आ गई है। सरकार बनने के दो-तीन महीने के बाद से जब बूचड़खाने बंद हुए तब से आवारा पशुआें ने नाक में दम कर रखा है। किसान अशोक कुमार कहते हैं कि पहले किसान खेत जोतने के लिए बैलों का उपयोग करता था, लेकिन ट्रैक्टर आदि के आने से बैलों का उपयोग खेती में बंद हो गया। लोगों ने बैलों को खुला छोड़ दिया। जिससे वे भी बड़ी संख्या में खेतों की फसलों को तबाह कर रहे हैं। खुले बछड़ों को बूचड़ खानों में न भेजे जाने के सरकारी फैसले का स्वागत भले ही शुरुआत में हर किसी ने किया हो, लेकिन अब इसका असर शहर की सड़कों से लेकर ग्रामीण इलाकों में चारों ओर दिख रहा है।
अशोक कुमार कहते हैं कि सरकार के इस फैसले के बाद ग्रामीण इलाकों में छह महीनों में छूटे पशुआें की संख्या दुगनी हो गई है। जिसकी वजह से किसानों की फसलें ये पशु अपना पेट भरने के चक्कर मे बर्बाद कर रहे हैं। अशोक कहते है कि फसलों के बर्बाद हो जाने के बाद किसानों के चेहरों से मुस्कुराहट गायब है, यहां तक कि किसान फसलों के खराब हो जाने के बाद से दीपावली पर्व भी महज औपचारिकता भर तक ही मनाया गया। बड़ी उम्मीद से हर बार लगाई जाती है फसल, लेकिन जब वह पक जाती है तो आवारा पशु तबाह कर देते हैं। उनका कहना है कि आखिर कहां तक रात-दिन फसलों की देखभाल करें। देखभाल के बाद भी मौका मिलते ही खेत में घुस जाते हैं।
Published on:
07 Jan 2019 12:55 pm
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