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किसानों के बाद योगी सरकार की मुश्किलें अब ये बढ़ाएंगे, नहीं मानी बात तो करेंगे उग्र आंदोलन

अपनी लंबित मांगों को लेकर खोला माेर्चा, अब दी ये चेतावनी

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किसानों के बाद योगी सरकार की मुश्किलें अब ये बढ़ाएंगे, नहीं मानी बात तो करेंगे उग्र आंदोलन

मेरठ। एक तरफ दिल्ली में पहुंच चुके किसानों ने प्रदेश और देश की सरकार की सांस फुला रखी है। दूसरी ओर मेरठ समेत प्रदेश के सभी 75 जनपदों में कार्यरत सरकारी चिकित्सकों ने मांगे न पूरी किए जाने के विरोध में काली पट्टी बांधकर आक्रोश प्रकट करने से योगी सरकार फिर मुश्किलों में आने जा रही है। सरकारी चिकित्सकों के आंदोलन की कड़ी में यह तीसरा पड़ाव था। किसानों के बाद अब सरकारी चिकित्सकों ने लंबित मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

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कर्इ मांगें पूरी नहीं होने पर चिकित्सकों में गुस्सा

जनपद मेरठ में कार्यालय मुख्य चिकित्सा अधिकारी मेरठ, जिला महिला एवं पुरुष चिकित्सालय, मेडिकल कालेज, सभी सामुदायिक, प्राथमिक एवं शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों सहित समस्त चिकित्सालयों तथा कार्यालयों में कार्यरत प्राचिसेवा संघ शाखा मेरठ के चिकित्सकों ने अपनी सेवा एवं वेतन संबंधी मांगों पर सरकार द्वारा कोई निर्णय न लेने, उपेक्षा पूर्ण व्यवहार से दुखी होकर आंदोलन की तीसरी कड़ी में केंद्रीय कार्यकारिणी के आह्वान पर काली पट्टी बांधकर काम किया। प्रदेश के सभी 75 जनपदों के चिकित्सकों के साथ विरोध स्वरूप काला फीता बांधकर कार्य किया। प्रदेश भर के करीब 5000 चिकित्सों के इस विरोध से सरकार भी हिल गई है।

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चिकित्सकों ने योगी सरकार को दी यह चेतावनी

मेरठ में आंदोलन का नेतृत्व कर रहे प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ उप्र के मेरठ शाखा के डा. विश्वास चौधरी ने बताया कि चिकित्सकों की मांगों पर यदि सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो आगे चलकर यह आंदोलन और उग्र रूप धारण कर सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार गठन से पहले तो काफी बड़े वादे किए गए थे। चिकित्स सेवा संघ से उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन भी सरकारी स्तर पर मिला था, लेकिन सरकार गठन के करीब दो साल होने को जा रहे हैं ऐसे में अभी भी चिकित्सकों की मांगे लंबित पड़ी हैं। उन्होंने कहा कि बिडिंग के माध्यम से सरकार ढार्इ लाख रूपये महीना पर चिकित्सक रख रही है। जिसको मात्र आठ घंटे कार्य करना है, जबकि नियमित चिकित्सकों को सेवा में आने के लिए 24 घंटे सातों दिन का कार्य करने के बाद भी मात्र साठ हजार से 70 हजार रूपये मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त की आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई है, लेकिन इसका विकल्प चुनने का अधिकार सेवारत चिकित्सकों को नहीं दिया गया। उन्होंने बताया कि इसके अलावा वाहन भत्ता, पोस्टमार्टम भत्ता, तदर्थ नियुक्ति लाभ आदि में भी भारी विषमता है। इस दौरान डा. बीपीएस कल्याणी, डा. पूजा शर्मा के अतिरिक्त अन्य चिकित्सकों ने भी काली पट्टी बांधकर कार्य किया।