
मेरठ। नरेंद्र मोदी सरकार के आम बजट-2020 में हस्तिनापुर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा के बाद यहां के लोगों में खुशी है। बरसों से उपेक्षित हस्तिनापुर के दिन बहुरने की दस्तक के बाद यहां नई घोषणा पर काम करने की कवायद भी शुरू कर दी गई है। इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से राष्ट्रीय संग्रहालय के लिए 1100 वर्ग मीटर भूमि चिन्हित की गई है। साथ ही यहां के कई स्थलों का पर्यटन विकास के तौर पर काम शुरू हुआ है।
पांडवों की धरती हस्तिनापुर में कई ऐसे प्रमाणिक स्थल हैं, जिन्हें पर्यटन के तौर पर विकसित करने की जरूरत है। इनमें द्रोपदेश्वर महादेव मंदिर, पांडवेश्वर महादेव मंदिर, बूढ़ी गंगा का जीर्णोद्धार, ग्राम सैफपुर-फिरोजपुर के महादेव मंदिर, भद्रकाली मंदिर, रघुनाथ महल, अमृत कूप, जयंती माता शक्तिपीठ, चेतावाला पुल पर 200 मीटर घाट का निर्माण, पांडव टीला, श्रीकृष्ण मंदिर, द्रोपदी मंदिर, घाट, कर्ण मंदिर, जम्बूद्वीप व दिगंबर जैन प्राचीन बड़ा मंदिर हैं। इनका पर्यटन के तौर पर विकास करने की मांग काफी समय से चल रही थी। मोदी सरकार से मिले तोहफे के बाद अब इनके जीर्णोद्धार और पर्यटन विकास पर काम शुरू होगा।
हस्तिनापुर में राष्ट्रीय संग्रहालय निर्माण की घोषणा के बाद शासन-प्रशासन के बीच विचार-विमर्श शुरू हो गया है। इसको लेकर डीएम अनिल ढींगरा के कैंप कार्यालय में बैठक भी हुई। इसमें हस्तिनापुर के प्राथमिकता के आधार पर पांच स्थल समेत 17 से ज्यादा स्थलों का जीर्णोद्धार और विकास कार्य कराने पर विमर्श किया। इसमें राष्ट्रीय संग्रहालय के लिए हस्तिनापुर में आईटीआई के समीप 1100 वर्ग मीटर भूमि चिह्नित किए जाने की जानकारी दी गई। इस संबंध में लखनऊ में सोमवार को नियोजन विभाग द्वारा बैठक बुलाई गई है। हस्तिनापुर विधायक दिनेश खटीक ने कहा कि पर्यटन स्थलों को विकसित कर हस्तिनापुर को विश्व पटल पर लाया जाएगा। उन्होंने पर्यटन स्थलों पर प्रकाश की व्यवस्था सुनिश्चित करने एवं कैंटीन बनाए जाने की मांग उठाई। वहीं, डीएम अनिल ढींगरा ने कहा कि राष्ट्रीय संग्रहालय के लिए चिह्नित भूमि नगर पालिका की है। इसका वह जल्द निरीक्षण करेंगे।
Published on:
09 Feb 2020 01:57 pm
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