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Air quality index of NCR Meerut : पड़ोसी राज्य में पराली जलाने से खराब हुई NCR की आबोहवा, AQI 300 के पार

Air quality index of NCR Meerut दिवाली के बाद फिर से वायु गुणवत्ता सूचकांक AQI मेरठ और एनसीआर NCR के शहरों का खराब स्थिति में पहुंच गया है। गाजियाबाद का एक्यूआई AQI इस समय 300 के पार है तो वहीं मेरठ का वायु गुणवत्ता सूचकांक इस समय 250 के पार पहुंच चुका है। वायु प्रदूषण होने से इस समय लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हवा में खतरनाक जहरीले कण मिलने के कारण लोगों को आंखों में सबसे अधिक परेशानी हो रही है। इससे आंखों में जलन और सिर दर्द की परेशानी लोगों में बढ़ी है।

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मेरठ

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Kamta Tripathi

Oct 28, 2022

Air quality index of NCR Meerut : पड़ोसी राज्य में पराली जलाने से खराब हुई NCR की आबोहवा, गुणवत्ता सूचकांक 300 के पार

Air quality index of NCR Meerut : पड़ोसी राज्य में पराली जलाने से खराब हुई NCR की आबोहवा, गुणवत्ता सूचकांक 300 के पार

Air quality index of NCR Meerut दिवाली के दौरान वायु गुणवत्ता air quality में कुछ सुधार रहने के बाद अब फिर से वायु गुणवत्ता सूचकांक AQI खतरनाक स्तर पर पहुंच रहा है। इस समय हवा की रफ्तार कम हुई तो वायु गुणवत्ता सूचकांक AQI भी तेजी से बढ़ने लगा है। एनसीआर में लागू किया गया ग्रेप सिस्टम Grape System भी फेल साबित हो रहा है। एनसीआर का जिला गाजियाबाद इस समय देश का सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शामिल है। जबकि मेरठ और नोएडा भी इसी श्रेणी में आ गए हैं।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक हरियाणा और पंजाब में जलाई जा रही पराली के धुएं से पश्चिमी उप्र और एनसीआर की आबोहवा लगातार प्रदूषित हो रही है। एनसीआर NCR के जिलों में लागू किया ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान Graded Response Action Plan (GRAP) सिर्फ कागजों में दिखाई दे रहे हैं। हवा की गति अब 10 किमी से कम हुई तो पटाखों के धुएं और पराली से प्रदूषित हो रहे वातावरण का असर अब दिखाई दे देने लगा है।


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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड PCB के मुताबिक इस समय गजियाबाद, मेरठ और नोएडा देश के सबसे अधिक प्रदूषित महानगर बने हुए हैं। हवा में PM 10 और PM 2.5 मानकों से तीन से साढ़े तीन गुना अधिक बढ़ गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की माने तो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिवाली से पहले एक अक्टूबर को ही ग्रैप लागू कर दिया था। लेकिन दिवाली के पहले ग्रेप के तीसरे चरण के नियमों को लागू किया गया था। जिससे सरकारी संस्थाएं प्रदूषण से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम कर लें। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। 22 विभागों की तरफ से पानी का छिड़काव करने में लापरवाही बरती जा रही है।