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Akshay Navami 2019: अक्षय नवमी पर ऐसे करें पूजा, मिलेगा सुख, सौभाग्य और स्वास्थ्य का वरदान

Highlights 5 नवंबर मंगलवार को है अक्षय नवमी पर्व शुभ मुहूर्त सुबह 6.36 से दोपहर 12.04 तक आंवले की पूजा करने का है विशेष महत्व  

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meerut

मेरठ। अक्षय नवमी 2019 (Akshay Navami 2019) पर शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat) में पूजा करने से सुख, सौभाग्य और स्वास्थ्य का वरदान मिलता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी मनायी जाती है। अक्षय नवमी को आंवला नवमी (Amla Navami) भी कहा जाता है। इस दिन आंवला खाने और आंवले के वृक्ष की पूजा करने से विशेष आशीर्वाद मिलता है। यह दिवाली (Diwali) के आठ दिन बाद पड़ती है। इस बार अक्षय नवमी 5 नवंबर दिन मंगलवार को है। शुभ मुहूर्त सुबह 6.36 से दोपहर 12.04 में पूजा करना विशेष फलदायी साबित होगा। अगर इस शुभ मुहूर्त में आप पूजा नहीं कर पाएं तो पूरे दिन में कभी भी अक्षय नवमी की पूजा कर सकते हैं।

अक्षय नवमी का दिन बहुत महत्वपूर्ण

ज्योतिषाचार्य पंडित महेंद्र कुमार शर्मा का कहना है कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय नवमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध किया था। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए बहुत शुभ माना गया है। अक्षय नवमी के दिन द्वापर युग का आरंभ हुआ था। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने कुष्मांडक दैत्य को मारा था और उसके रोम से कुष्मांडक की बेल प्रारंभ हुई थी। इसलिए आज के दिन कूष्मांड का दान करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है। इस दिन तुलसी विवाह कराने से भी काफी पुण्य मिलता है। अक्षय नवमी के दिन किया गया पुण्य कभी समाप्त नहीं होता।

आंवले के वृक्ष की पूजा का महत्व

ज्योतिषाचार्य के अनुसार पौराणिक मान्यताएं हैं कि भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल नवमी से कार्तिक पूर्णिमा तक आंवले के वृक्ष पर निवास करते हैं। इसलिए अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। साथ ही भगवान विष्णु की भी पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है। आंवले के वृक्ष की पूजा करने और वृक्ष के नीचे भोजन करने से उत्तम स्वास्थ्य मिलता है।

अक्षय नवमी पर यह है पूजा विधि

सुबह के समय स्नान करके आंवले के वृक्ष के निकट पूर्व की ओर मुंह करके दाहिने हाथ में जल, अक्षत्, पुष्प आदि लेकर व्रत और पूजा का संकल्प लें। इसके बाद 'ऊँ धात्र्यै नम:' मंत्र का जाप करें। यह मंत्र जाप अपनी इच्छानुसार करें। इसके बाद इसी मंत्रोच्चारण से आंवले के वृक्ष की जड़ में दूध या जल अर्पित करते हुए पितरों का तर्पण करें। इसके बाद आंवले के वृक्ष में सूत्र बांधना आवश्यक है। इसके बाद कपूर या घी से दीपक जलाएं। आंवले के वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें और बाद में आंवले के वृक्ष की आरती करें। आखिर में वृक्ष के नीचे निर्धनों को भोजन कराएं और दान भी दें। ज्योतिषाचार्य का कहना है कि अक्षय नवमी के दिन इस तरह पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु से सुख, सौभाग्य और उत्तम स्वास्थ्य का वरदान मिलता है।