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एनसीआर में सांसों पर आपातकाल, मेरठ में AQI 300 के पार; जाने आज मौसम का हाल

दिल्ली-NCR में प्रदूषण के चलते सांसों पर आपातकाल लगा हुआ है। वहीं मेरठ में AQI 300 के पार पहुंच गया है। जबकि नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद का AQI 400 से अधिक है।

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मेरठ

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Kamta Tripathi

Nov 05, 2023

Today Weather update

स्मॉग से ढ़की एनसीआर की सड़कें।

Weather Update, Today AQI: दिल्ली-एनसीआर और पश्चिम यूपी के जिलों में प्रदूषण से बुरा हाल है। इस समय हवाएं बहुत ही खराब चल रही हैं। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के कारण सांसों पर आपातकाल लगा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने जिन 200 शहरों का वायु गुणवत्ता सूचकांक AQI की सूची जारी की है।

ग्रेटर नोएडा का वायु गुणवत्ता सूचकांक 490
उनमें 28 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 के ऊपर है। नौ शहरों में तो संकट सांसों पर आ गया है। जिनका वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 से ऊपर है। इन शहरों में राजधानी दिल्ली सहित नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ और फरीदाबाद शामिल हैं। सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, ग्रेटर नोएडा शनिवार को सबसे अधिक प्रदूषित शहर रहा। ग्रेटर नोएडा का वायु गुणवत्ता सूचकांक 490 दर्ज किया गया।

खराब से बेहद खराब श्रेणी के अधिकतर शहर उत्तर भारत के एनसीआर के हैं। दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण के शोधार्थी नवीन प्रधान का कहना है कि इसमें भूगोल के साथ मौसमी दशाओं की भूमिका बहुत बड़ी है। सिंधु-गंगा के मैदान में धूल के महीने कणों को हवाएं दूर तक ले जाती हैं।

पराली का धुंआ, राजस्थान की रेतीली हवाओं का वातावरण पर असर
पंजाब से पराली का धुंआ, राजस्थान की रेतीली हवाएं दिल्ली-एनसीआर के वातावरण पर पूरा असर डालती है। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण की ये स्थिति सर्दी के महीनों में और अधिक बढ़ जाती है। अक्टूबर माह के शुरूआती दिनों से दिल्ली एनसीआर का एक्यूआई बढ़ना शुरू होता है और ये कई बार घातक स्तर पर पहुंच जाता है।

धूल के महीन कण सबसे बड़े प्रदूषक
नवीन प्रधान कहते हैं कि उत्तर व दक्षिण के प्रदूषण में भारी अंतर के पीछे का कारण मौसमी दशाएं और भौगोलिक बनावट व बसावट है। सिंधु-गंगा मैदान के बड़े प्रदूषक धूल के महीने कण पीएम-10 व पीएम-2.5 हैं। ठंड के माह में हवा में नमी कम होने धूल के महीने कण जमीन की सतह पर नहीं बैठ पाते। पराली का धुंआ पंजाब व हरियाणा से दिल्ली-एनसीआर तक पहुंचता है। इससे इन दिनों में हर सर्दी यह इलाका स्मॉग की मोटी चादर से ढक जाता है।

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जो भी प्रदूषण होता है, वह स्थानीय
इसके विपरीत अरब सागर, बंगाल की खाली और हिंद महासागर से घिरे दक्षिण भारत में तेजी से मौसमी बदलाव नहीं होते। फिर, नमी ज्यादा होने से धूल के कण धरती पर बैठ जाते हैं। जो भी प्रदूषण होता है, वह स्थानीय होता है। उन्होंने कहा कि वैश्विक मॉडल का अध्ययन करने की जगह सरकारों को अपने देश का ही अध्ययन कर वायु प्रदूषण की स्थिति से निपटने की कोशिश करनी चाहिए।


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