
पीड़िताआें की मदद के लिए इन केंद्रों को मिली यह सुविधा, अब इन्हें चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे
मेरठ। आशा ज्योति केंद्र में आने वाली पीड़ित महिलाओं को सर्वाधिक परेशानी जो होती थी वह थी उनकी एफआईआर दर्ज करवाने की। इसके लिए उन्हें थाने और चौकियों के चक्कर लगाने होते थे, लेकिन वहां पर भी कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए थाने की सीमा का मामला न होने की बात कहकर टाल दिया जाता था। लेकिन अब आशा ज्योति केंद्र में आने वाली पीड़ित महिलाओं के लिए राहत भरी बात है। ऐसी महिलाओं की शिकायत अब आशा ज्योति केंद्रों में ही दर्ज हो सकेगी। इसके लिए उन्हें संबंधित थाने व चौकियों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी। इन केंद्रों से यौन उत्पीड़न, बलात्कार, एसिड अटैक, तीन तलाक व घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं को कानूनी व चिकित्सीय मदद दी जाती है।
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सीसीटीएनएस साफ्टवेयर में किया बदलाव
प्रदेश सरकार ने क्राइम एंड क्रिमनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (सीसीटीएनएस) के सॉफ्टवेयर में बदलाव कर आशा ज्योति केंद्रों को रिपोर्टिंग पुलिस चौकी में बदल दिया है। बतातें चले कि 17 जिलों में वर्तमान में आशा ज्योति केंद्र खुले हुए हैं। केंद्र में महिलाओं के प्रति बढ़ते रूझान और पीड़ित महिलाओं को मिलने वाली मदद से उत्साहित होकर केंद्र ने प्रदेश में और 38 जिलों में आशा ज्योति केंद्रों की स्थापना को संस्तुति दी है। इन केंद्रों पर पीड़ित महिलाओं को सभी प्रकार की सुविधा जैसे चिकित्सीय, कानूनी व पुलिस आदि की सहायता मिलती है।
181 से भी जुड़ी है आशा ज्योति केंद्र
प्रदेश सरकार ने इन आशा ज्योति केंद्रों को 181 महिला हेल्पलाइन से जोड़ी गई है। इन केंद्रों में पुलिस चौकी भी खोली गई थी, लेकिन कुछ परेशानियों के चलते इन चौकियों पर एफआइआर दर्ज नहीं हो पाती थी। लेकिन अब सरकार ने सीसीटीएनएस सॉफ्टवेयर में इसके लिए कुछ बदलाव कर सभी आशा ज्योति केंद्रों में एफआइआर दर्ज करने की सुविधा उपलब्ध करा दी है।
यहां चल रहे हैं केंद्र
आशा ज्योति केंद्र प्रदेश के गाजियाबाद, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, कानपुर, कन्नौज, लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, बांदा, मीरजापुर, गाजीपुर व गोरखपुर आगरा , झांसी आदि में चल रहे हैं।
बोले अधिकारी
एसएसपी राजेश कुमार पांडे ने कहा कि अब पीड़ित महिलाओं की शिकायतें आशा ज्योति केंद्र में ही दर्ज की जा सकेंगी। इसके लिए आदेश आ चुके हैं।
Published on:
30 May 2018 12:01 pm
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