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इस चुनाव से पहले भाजपा के भीतर गुटबाजी आयी सामने, सांसद आैर विधायक खेमे में मची हलचल, देखें वीडियो

खास बातें होर्डिंग्स पर लगे छावनी मंडल अध्यक्ष के चेहरे को कागज से छिपाया कार्यकर्ता बोेले- छावनी में गुटबाजी का कारण मंडल अध्यक्ष सांसद आैर विधायक खेमें में अंदरुनी खींचतान से पदाधिकारियों में रोष

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meerut

इस चुनाव से पहले भाजपा के भीतर गुटबाजी आयी सामने, सांसद आैर विधायक खेमे में मची हलचल, देखें वीडियो

मेरठ। मेरठ में छावनी मंडल में भाजपा की गुटबाजी चरम पर है। अगर यही हाल रहा तो दस महीने बाद होने वाले छावनी चुनाव में भाजपा की लुटिया डूब जाएगी। कार्यकर्ता इसका जिम्मेदार छावनी मंडलाध्यक्ष को मान रहे है। छावनी मंडलाध्यक्ष सांसद खेमे के माने जाते हैं। जबकि छावनी मंडल में अन्य पदाधिकारी और कार्यकर्ता कैंट विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल के खेमे से हैं।

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बैठक में भी नहीं निकला हल

गुटबाजी को खत्म करने के लिए कई बार सभी पदाधिकारियों की बैठक बुलाई गई, लेकिन छावनी मंडल अध्यक्ष अंकित सिंघल बैठक बीच में ही छोड़कर चले गए। इससे अन्य पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं में भारी रोष है। इधर एक और ताजा मामला गुटबाजी का ही उजागर हुआ। मेरठ कैंट एरिया में भाजपा के सदस्यता अभियान के बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाए गए हैं। इन होर्डिग्स में मंडल अध्यक्ष अंकित सिंघल का भी नाम और फोटो है, लेकिन विपक्षियों ने अंकित के फोटो पर सफेद कागज लगा दिया। जिससे उसका चेहरा दिखाई न दे। छावनी क्षेत्र में मंडल अध्यक्ष का जबरदस्त विरोध चल रहा है।

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विराेध के बावजूद सदस्यता दिलार्इ

ऐसे ही एक मामला और सामने आया जब छावनी परिषद की वार्ड छह की पार्षद मंजू गोयल भाजपा की सदस्यता ग्रहण करना चाहती थी, लेकिन उसकी राह में रोड़ा बने हुए थे मंडल अध्यक्ष। विधायक सत्यप्रकाश की कोशिशों के चलते मंजू गोयल ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। बता दें कि वार्ड छह की पार्षद मंजू गोयल, पूर्व पार्षद दिनेश गोयल की पत्नी हैं। दिनेश गोयल का छावनी परिषद ही नहीं पूरे कैंट इलाके में अच्छा रूतबा है। मंजू गोयल ने लोकसभा चुनाव के दौरान छावनी में भाजपा के लिए काफी मेहनत की थी। जिसका नतीजा चुनाव परिणाम के दौरान देखने को मिला था। इस बारे में जब सांसद राजेन्द्र अग्रवाल से बात की गई तो उनका कहना था कि पार्टी में किसी भी स्तर पर गुटबाजी नहीं है। सभी लोग पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। यह जरूर किसी असामाजिक तत्व की शरारत है। जिसने होर्डिंग्स में चेहरा छिपा दिया है। इसमें पार्टी के किसी कार्यकर्ता का हाथ नहीं है।

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