
इस क्षेत्र के 6 सिटिंग सांसदों के टिकट कटने की खबर से भाजपा नेताओं में मचा हड़कंप
मेरठ. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के लिटमस टेस्ट में खरे न उतरने वाले पश्चिमी यूपी के छह सांसदों के टिकट कटने की सूचना से भाजपा के वर्तमान सांसदों में हड़कंप मच गया है। पूरे प्रदेश भर में वैसे तो 28 सांसदों के टिकट कटने की सूचना है। इसमें पश्चिमी यूपी से छह सांसदों के टिकट कटने की भी सूचना है। सूत्रों के अनुसार टिकट कटने की सूचना से पश्चिमी यूपी के अधिकांश भाजपा सांसदोें ने लखनऊ और दिल्ली की दौड़ लगानी शुरू कर दी है। इसके साथ ही भाजपा के पश्चिम उत्तर प्रदेश के प्रभारी विजय बहादुर पाठक ने भी साफ कर दिया है कि टिकट उसी को मिलेगा, जो जीत दर्ज करेगा और टिकाऊ होगा। हमारा मकसद अपने 2014 वाले प्रदर्शन को दोहराना है।
पश्चिम में कैराना ने बिगाड़ा भाजपा का एजेंडा
दरअसल, पश्चिम उप्र में कैराना उपचुनाव में भाजपा को मिली करारी हार ने पार्टी के हिंदुत्व के एजेंडे को बिगाड़ कर रख दिया है। यह वही एजेंडा है, जिसके बूते भाजपा ने उप्र और पश्चिम उप्र में 2014 में शानदार जीत हासिल की थी। कैराना उपचुनाव की समीक्षा करते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने यह बात जोरशोर से उठाई कि जो काम दिवंगत हुकुम सिंह ने अपने बूते किया था। वह काम पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के सांसद और पूरी सरकार नहीं कर सकी। वे इन कारणों की तलाश कर रहे हैं और इसका जिम्मेदार उन्होंने आसपास के सांसदों को माना है। जिन्होंने उपचुनाव के समय जमीनी सतह पर जीत के लिए काम नहीं किया था। अब उन्हीं सांसदों पर गाज गिरनी तय मानी जा रही है।
दरअसल, मार्च 2018 में ही सत्तारूढ़ भाजपा को गोरखपुर और फूलपुर में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था, जबकि ये सीटें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके डिप्टी केशव प्रसाद मौर्या की थीं । वहां भी विपक्ष ने भाजपा को धूल चटाई थी । ये सब हुआ उस चुनाव क्षेत्र में, जहां भाजपा ने 2014 में अपनी हिंदुत्व वाली रणनीति की शुरुआत की थी। लेकिन, विपक्ष के महागठबंधन के साथ-साथ जातीय समीकरण ने भी भाजपा की मुसीबतें बढ़ा दी थी।
नीतियों से खफा
जातियों के गड़बड़ाए अंकगणित के साथ-साथ नतीजों ने वोटरों के अंदर भरा गुस्सा भी दर्शाया है, जो सरकार की नीतियों की वजह से उबला है। भाजपा सूत्रों के अनुसार मेरठ और मुजफ्फरनगर निशाने पर हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार यहां के सांसदों का रिपोर्ट कार्ड अच्छा नहीं रहा है। लोगों के बीच सरकार की नीतियों को न पहुंचाना और सिर्फ विशेष वर्ग तक ही सीमित होकर रह जाना भी सांसदों के टिकट कटने का कारण बना है।
Published on:
05 Jul 2018 05:45 pm
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