
केपी त्रिपाठी मेरठ. उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेजों में अब विभिन्न धर्मों के पवित्र ग्रंथ भी पढ़ाए जाएंगे। इसमें बाइबिल, गीता, गुरुग्रंथ साहिब और कुरान शामिल हैं। यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने सभी कॉलेजों को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए है।
हालांकि, यह निर्देश अभी यूनिवर्सिटी के लिए लागू नहीं हैं, लेकिन कुलपति प्रोफेसर एनके तनेजा ने बताया कि यह पहल यूनिवर्सिटी में शुरू हो, इस पर विचार कर रहे हैं। सभी विभागाध्यक्षों से इस बारे में बात चल रही है। वैसे, कॉलेजों में भी छात्रों के लिए यह पढ़ाई अनिवार्य नहीं की गई है।
कुलपति के अनुसार, इसका उद्देश्य छात्रों में धार्मिक सौहार्द बढ़ाना है। साथ ही, पवित्र धर्म ग्रंथोंं की शिक्षा छात्रों के नैतिक और चारित्रिक विकास में मददगार साबित होगी। यही नहीं, यूनिवर्सिटी प्रबंधन कॉलेजों में संस्कृत को बढ़ावा देने पर भी विचार कर रहा है। इसके लिए शिक्षक रोज एक श्लोक और उसका अर्थ छात्रों को समझाएंगे।
यह अच्छी पहल साबित होगी -
वहीं, यूनिवर्सिटी के क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी डॉक्टर राजीव कुमार ने "पत्रिका डॉट कॉम" से बातचीत में कहा, डिग्री कॉलेजों में सुबह प्रार्थना नहीं होती। कॉलेजों में पढऩे वाले ज्यादातर युवा अपने मूल मकसद से भटक रहे हैं। कई बार ऐसा भी देखने को मिलता है कि युवाओं के जीवन में नैतिक भावनाएं कम हो रही हैं। छात्र आपस में छोटी-छोटी बात पर मारपीट करने लगते हैं। कई छात्र तो अच्छा करियर चुनने के बजाय अपराध की तरफ बढ़ जातेे हैं। उन्होंने कहा कि इन सब बुराइयों पर काबू पाने के उद्देश्य से ही यूनिवर्सिटी प्रबंधन यह पहल कर रहा है।
डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि कॉलेजों को इस संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। इसमें कॉलेजों के प्राचार्यों से कहा गया है कि वे अपने यहां समय निकालकर रोज पवित्र धार्मिक ग्रंथों की पढ़ाई कराएं। इसके लिए एक पीरियड तय किया जाए, जिससे छात्र पाठ्यक्रम के साथ-साथ धर्म से जुड़ी बातों की भी जानकारी हासिल कर सकें। हालांकि, डॉ. कुमार ने बताया कि यह अनिवार्य नहीं है। लेकिन कॉलेज प्राचार्य इसे लागू करें तो यह अच्छी पहल होगी। छात्र हित में कॉलेज प्राचार्यों को यह लागू करना चाहिए।
हर दिन एक श्लोक पढ़ाएं -
डॉ. राजीव कुमार ने बताया कि संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए डिग्री कॉलेजों में रोज एक श्लोक को भावार्थ सहित पेश करने का आग्रह भी प्राचार्यों से किया गया है। उन्होंने कहा कि इससे युवाओं में आत्मबल भी बढ़ेगा। साथ ही, युवाओं में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित हों और इसमें छात्रों को बोलने का मौका दिया जाए। अगर ऐसे आयोजन संभव नहीं हों पाए, तब हफ्ते में नैतिक शिक्षा के लिए एक पीरियड तय कर धार्मिक, नैतिक और सामाजिक शिक्षा दी जाए।
यूनिवर्सिटी में पढ़ाई शुरू कराने पर विचार -
चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर एनके तनेजा ने कहा कि यह एक अच्छी पहल है। यूनिवर्सिटी के प्रत्येक विभाग के छात्रों को भी समय निकालकर इन धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करना चाहिए। यूनिवर्सिटी में भी पवित्र धार्मिक ग्रंथों की पढ़ाई शुरू हो, इसके लिए संबंधित विभागाध्यक्षों से बात की जाएगी।
Published on:
28 Nov 2017 06:37 pm
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