
MP Assembly by-election: घर-घर जाकर फोटो युक्त मतदाता पर्ची दे रहे बीएलओ
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
बुलंदशहर. सदर सीट के विधानसभा उपचुनाव में सघन प्रचार अभियान के बावजूद मतदाताओं की खामोशी ने सभी उम्मीदवारों की नींद उड़ा रखी थी। चुनाव परिणाम घोषित हुए तो सभी उम्मीदवारों के दावे ईवीएम ( EVM ) से बाहर निकल आए। भाजपा ने जीत हांसिल की और बसपा दूसरे नंबर रही। तीसरे नंबर पर चंद्रशेखर की पार्टी रही हैं। आने वाले विधानसभा चुनाव 2022 के लिए साफ संकेत हैं कि आजाद समाज पार्टी पश्चिम उत्तर प्रदेश में दूसरे दलों के लिए मुसीबत पैदा कर सकती है। आजाद समता पार्टी के इस प्रदर्शन से बसपा समेत सपा और अन्य दलों की नींद उड़ा दी है।
तीसरे नंबर पर आया चंद्रशेखर का उम्मीदवार
सदर सीट में भाजपा का मुकाबला सिर्फ बसपा के प्रत्याशी ही कर सके। वहीं पहली बार चुनाव लड़ रही भीम आर्मी के चंद्रशेखर ( Bhim Army chief )
की आजाद समाज पार्टी ने इस उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया। आजाद समता पाटी के उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहे। पार्टी के उम्मीदवार ने दिग्गज दलों के उम्मीदवारों को धूल चटा दी। इस उपचुनाव में सदर सीट पर सिर्फ बसपा ही दूसरे नंबर पर रही जबकि सपा और रालोद का गठबंधन पांचवे नंबर पर रहा। कांग्रेस को चौथे नंबर पर संतोष करना पड़ा।
उपचुनाव में 18 प्रत्याशी अजमा रहे थे किस्मत
भाजपा, बसपा, कांग्रेस, सपा समर्थित रालोद के उम्मीदवार सहित 18 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे लेकिन मुख्य संघर्ष भाजपा की उषा सिरोही और बहुजन समाज पार्टी के हाजी एसके बीच नजर आ रहा था। सपा समर्थित रालोद के प्रत्याशी पीके सिंह और चंद्रशेखर की पार्टी आजाद समाज पार्टी के हाजी आमीन, कांग्रेस के सुशील चौधरी, मुकाबले में आने के लिए जी तोड़ मेहनत की थी लेकिन जिस तरह से आजाद समता पार्टी ने अन्य दलों के इस चुनाव में चुनौती पेश की है उससे यह साफ है कि आने वाले 2022 के विधानसभा चुनाव में चंद्रशेखर की आजाद समता पार्टी बसपा, सपा और कांग्रेस के लिए मुसीबत जरूर पैदा करेगी।
सदर सीट के उपचुनाव में जिस तरह से आजाद समाज पार्टी तीसरे नंबर पर आई है उसने सिर्फ और सिर्फ बसपा के वोटों में ही सेंधमारी की है। बसपा का युवा कैडर वोट भी आजाद समाज पार्टी की ओर मुखातिब हुआ है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के विरेंद्र सिंह सिरोही बसपा के दो बार इसी सीट से जीते विधायक हाजी अलीम को लगभग 24000 वोट से हराकर विधायक चुने गये थे। उनके निधन से रिक्त हुई सीट पर भाजपा ने उनकी पत्नी 68 वर्षीय उषा सिरोही को तो बसपा ने हाजी अलीम के छोटे भाई ब्लाक प्रमुख यूनुस को प्रत्याशी बनाया था।
भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न तो आसपा के लिए प्रैक्टिकल
चंद्रशेखर आजाद की पार्टी आजाद समाज पार्टी ने हाजी यामीन और शेर सिंह राणा की पार्टी राष्ट्रीय जन लोक ने ठाकुर पृथ्वीराज सिंह को मैदान में उतारा था। भाजपा से बगावत कर चुनाव मैदान में उतरी डॉ उर्मिला राजपूत राष्ट्रीय क्रांति पार्टी की प्रत्याशी बनी और इस सीट पर अपना परचम फैलाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रखी थी। प्रदेश सरकार के तीन तीन मंत्री भाजपा संगठन के प्रमुख पदाधिकारी चुनाव तिथि घोषित करने के बाद से यही जमे थे। कुल मिलाकर ये बुलंदशहर का उपचुनाव भाजपा और सरकार के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका था। चुनावी जीतकर भाजपा ने अपनी शाख ताे बचा ली लेकिन नतीजों से तय है कि यह उपचुनाव आने वाले विधानसभा चुनाव 2022 चंद्रशेखर की पार्टी दूसरे दलों के लिए मुसीबत जरूर पैदा करेगी।
Published on:
10 Nov 2020 09:20 pm
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