
मेरठ। बात 1980 की है। बीटेक किए पूर्व मंत्री और रालोद सुप्रीमों अजित सिंह (chaudhary ajit singh) उन दिनों अमेरिका में मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रहे थे। सैलरी भी ठीकठाक थी। किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी चरण सिंह चाहते थे बेटा उनकी राजनैतिक विरासत को संभाले। चौधरी चरण सिंह की बात बेटे अजित ने टाल दी तो उनकी बड़ी बहन सरोज ने भारत आने की जिद की। बहन के कहने पर अजित भारत वापस आए और उन्होंने पिता की राजनैतिक विरासत को संभालने की जिम्मेदारी निभानी शुरू कर दी। चौधरी अजित सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय से बीएससी और आईआईटी खड़गपुर से बीटेक करने के बाद शिकागो के इलिनोइस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से उन्होंने अपनी मास्टर डिग्री पूरी की थी। इसके बाद वे वहीं 15 साल तक उन्होंने अमेरिका में मल्टीनेशनल कंपनियों में नौकरी करते रहे।
लोकदल को पुनर्जीवित कर किसानों का बड़ा हिस्सा बने
1980 में देश वापसी के बाद चौधरी अजित सिंह ने लोकदल को पुनर्जीवित करने का प्रयास शुरू किया। लोकदल उनके पिता द्वारा बनाई गयी एक पार्टी थी। जिसमें मुख्यतः किसानों का एक बड़ा हिस्सा शामिल था। पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह के पुत्र, अजीत सिंह राष्ट्रीय लोकदल के संस्थापक और प्रमुख के रूप में अपनी पहचान बनाते चले गए। पहले उन्होंने 1987 और 1988 के दौरान लोकदल (ए) और जनता पार्टी के अध्यक्ष के रूप में अध्यक्षता की। उन्होंने छह कार्यकालों के लिए बागपत निर्वाचन क्षेत्र से संसद सदस्य के रूप में कार्य किया। उन्हें पहली बार 1989 में कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल किया गया था। बाद में उन्होंने 1995, 2001 और 2011 में कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य किया।
गांव भडोला में शोक :—
अजित सिंह का जन्म 12 फरवरी 1939 को मेरठ के भडोला गांव में हुआ था। जब पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह के निधन का समाचार पहुंचा तो गांव में शोक की लहर दौड़ गई। गांव के बुजुर्ग और नौजवान के अलावा उनके रिश्तेदार दिल्ली के लिए रवाना हो गए। हालांकि चौधरी अजित सिंह के पुत्र जयंत चौधरी ने समर्थकों से दिल्ली न आने की अपील की है।
Published on:
06 May 2021 10:31 am
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